कभी तीन तलाक तो कभी राम... इन बयानों से विवादों में घिर चुके हैं स्वामी प्रसाद मौर्य
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स्वामी प्रसाद मौर्य का सियासी सफर लम्बा है और हर बार सियासी विरोधियों के लिए विवादित बयान देकर आक्रामक होते रहे हैं. 25 साल से ज़्यादा समय से यूपी की राजनीति में पिछड़े वर्ग के नेता के तौर पर वो सक्रिय रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही उनके विवादित बयानों की भी फेहरिस्त कम लम्बी नहीं है. मौर्य चाहे जिस पार्टी में रहे हों, उन्होंने विवादित बयानों का और विवादों ने उनका साथ नहीं छोड़ा.
कभी परिवार के सदस्यों को टिकट देने के लिए दबाव बनाने का आरोप तो कभी अपने बयान से पार्टी को असहज करने की राजनीति. यूपी में पिछड़े वर्ग के नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य का सियासी सफर जितना लम्बा है, उतना ही समय-समय पर उनके बयानों को लेकर विवाद भी रहा है. एक बार फिर स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित बयान की वजह से चर्चा में हैं.
रामचरितमानस मानस पर विवादित और अमर्यादित टिप्पणी कर के समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. इस बार उन्होंने करोड़ों लोगों के आराध्य राम की कथा रामचरितमानस के कुछ अंशों पर टिप्पणी करते हुए न सिर्फ उसे दलितों और वंचितों के खिलाफ बता दिया बल्कि घर-घर में पढ़े जाने वाले रामचरितमानस को लेकर ये तक कह दिया कि उसे करोड़ों हिंदू नहीं पढ़ते बल्कि तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. इसके बाद स्वामी पर पुलिस केस दर्ज होने से लेकर विरोध प्रदर्शन तक शुरू हो गया. हालांकि अभी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर कुछ नहीं कहा है.
स्वामी प्रसाद मौर्य का सियासी सफर लम्बा है और हर बार सियासी विरोधियों के लिए विवादित बयान देकर आक्रामक होते रहे हैं. 25 साल से ज़्यादा समय से यूपी की राजनीति में पिछड़े वर्ग के नेता के तौर पर वो सक्रिय रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही उनके विवादित बयानों की भी फेहरिस्त कम लम्बी नहीं है. मौर्य चाहे जिस पार्टी में रहे हों, उन्होंने विवादित बयानों का और विवादों ने उनका साथ नहीं छोड़ा. यहां तक कि उनके पार्टी छोड़ने से पहले भी हमेशा वो अपनी मौजूदा पार्टी के ऊपर भी आरोप लगाते रहे.
कभी तीन तलाक... तो कभी राम का सौदा
स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2014 में बहुजन समाज पार्टी में रहते हुए हिंदुओं की विवाह परम्परा पर ही हमला कर दिया था. उन्होंने कहा था कि हिंदू विवाह में गौरी गणेश की पूजा नहीं होनी चाहिए. इसके लिए उन्होंने ये तर्क दिया था कि इससे दलितों को ग़ुलाम बनाया जाता है, जबकि 2017 में मीडिया को दिए एक बयान में स्वामी प्रसाद ने तीन तलाक का विरोध करते हुए ऐसी बात कही कि मुस्लिम समुदाय की तरफ से उनका विरोध होने लगा. उन्होंने कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोग तीन तलाक अपनी हवस मिटाने के लिए करते हैं, जिससे वो बीवियां बदलते रहें. इस बयान के बाद भी उनकी आलोचना हुई थी.
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