
कट्टरपंथियों की बेचैनी, खालिदा की पार्टी की सक्रियता और US-चीन एंगल... यूनुस कब तक बचा पाएंगे कुर्सी?
AajTak
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी को चुनावी राजनीति में फिर से उतरने का मौका दे दिया है. यह वही संगठन है जिस पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने देशविरोधी गतिविधियों के आरोप लगाकर प्रतिबंध लगाया था. उधर, खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी चुनाव में देरी को लेकर सड़क से लेकर संसद तक आक्रामक हो चुकी है.
बांग्लादेश में राजनीतिक हालात तेजी से अस्थिर हो रहे हैं. एक ओर जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों को चुनाव लड़ने की इजाजत मिलने से लोकतंत्र पर सवाल उठने लगे हैं, वहीं दूसरी ओर खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने चुनावों को लेकर आंदोलन की कमान संभाल ली है. अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस न सिर्फ घरेलू राजनीतिक दबावों से घिरे हैं, बल्कि सेना से तनावपूर्ण रिश्ते भी उनकी परेशानी बढ़ा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका और चीन के साथ उनकी नजदीकी क्या वाकई उन्हें सत्ता में बनाए रख पाएगी, या फिर बांग्लादेश एक और उथल-पुथल की ओर बढ़ रहा है?
चुनाव लड़ने को तैयार कट्टरपंथी पार्टियां
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी को चुनावी राजनीति में फिर से उतरने का मौका दे दिया है. यह वही संगठन है जिस पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने देशविरोधी गतिविधियों के आरोप लगाकर प्रतिबंध लगाया था. उधर, खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी चुनाव में देरी को लेकर सड़क से लेकर संसद तक आक्रामक हो चुकी है.
विरोध में उतरी खालिदा जिया की पार्टी
पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान, जो इस समय लंदन में हैं, ने हाल की एक विशाल रैली को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि, 'चुनाव दिसंबर तक कराए जाएं. अब कोई बहाना नहीं चलेगा.' उन्होंने मौजूदा कार्यवाहक सरकार पर लोकतंत्र को पटरी से उतारने की साजिश का आरोप लगाया.
सेना भी यूनुस से खफा

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






