
'ऑर्गेनिक कॉटन के नाम पर 2.1 लाख करोड़ का स्कैम, सैकड़ों कंपनियों पर गंभीर आरोप', दिग्विजय सिंह का बड़ा दावा
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दिग्विजय सिंह का आरोप है कि इनऑर्गेनिक कॉटन को ऑर्गेनिक बताकर बेचा गया और उस पर 'ऑर्गेनिक कॉटन' का फर्जी लेबल चस्पा कर दिया गया. जिन किसानों के नाम पर ऑर्गेनिक कॉटन बेचा गया, उन्होंने असल में ऑर्गेनिक खेती की ही नहीं. 'आंतरिक नियंत्रण प्रणाली' (ICS) के तहत किसानों के समूह बनाए गए, लेकिन अधिकतर किसान इस प्रक्रिया से अनजान रहे.
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने देश में ऑर्गेनिक कॉटन की आड़ में चल रहे एक बड़े घोटाले का दावा किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीते एक दशक में 'ऑर्गेनिक कॉटन' के नाम पर करीब 2.1 लाख करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ है. उन्होंने इस घोटाले में कई कंपनियों, सर्टिफिकेशन एजेंसियों और सरकारी व्यवस्थाओं की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है.
'फर्जी लेबल लगाकर बेचा गया इनऑर्गेनिक कॉटन'
दिग्विजय सिंह का आरोप है कि इनऑर्गेनिक कॉटन को ऑर्गेनिक बताकर बेचा गया और उस पर 'ऑर्गेनिक कॉटन' का फर्जी लेबल चस्पा कर दिया गया. जिन किसानों के नाम पर ऑर्गेनिक कॉटन बेचा गया, उन्होंने असल में ऑर्गेनिक खेती की ही नहीं. 'आंतरिक नियंत्रण प्रणाली' (ICS) के तहत किसानों के समूह बनाए गए, लेकिन अधिकतर किसान इस प्रक्रिया से अनजान रहे.
फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने का आरोप
उन्होंने दावा किया कि सर्टिफिकेशन बॉडीज, जो इन किसानों की जांच करती हैं, ने कंपनियों से मिलकर फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए. इस घोटाले के चलते अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत पर सख्त कदम उठाए. 2020 में GOTS (Global Organic Textile Standard) ने 11 कंपनियों को बैन किया और एक प्रमुख सर्टिफायर की मान्यता रद्द की. 2021 में अमेरिकी USDA ने भारतीय ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन को मान्यता देना बंद कर दिया.
कांग्रेस नेता ने कहा, 'यूरोपीय संघ (EU) ने भी पांच भारतीय सर्टिफायर्स की मान्यता रद्द कर दी. ऑर्गेनिक कॉटन की कीमत इनऑर्गेनिक से 2 से 3 गुना ज्यादा होती है. लेकिन असली किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिला.'

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