
'उम्र सेलेक्शन का पैमाना नहीं होना चाहिए', टीम इंडिया से बाहर होने पर अजिंक्य रहाणे का छलका दर्द
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अजिंक्य रहाणे का कहना है कि उम्र चयन में बाधा नहीं होनी चाहिए और टीम को ऑस्ट्रेलिया में उनकी ज़रूरत थी. लेकिन उनके हालिया रणजी प्रदर्शन से ऐसा नहीं लगता कि वे चयन के हकदार थे, क्योंकि उन्होंने औसत दर्जे की बल्लेबाज़ी की और मुंबई के शीर्ष बल्लेबाज़ों में भी शामिल नहीं रहे.
टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी अजिंक्य रहाणे ने 2020-21 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) के आखिरी तीन टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की थी और टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी. अब एक बार फिर टेस्ट टीम में वापसी की उम्मीद लगाए बैठे हैं. हालांकि, लंबे समय तक लगातार खराब प्रदर्शन के बाद भारतीय चयनकर्ताओं ने आखिरकार उनसे आगे बढ़ने का फैसला किया. 2017 से 2023 के बीच, रहाणे सिर्फ एक ही बार किसी कैलेंडर वर्ष में 40 से अधिक का औसत बना सके. उनके पुराने रिकॉर्ड और योगदान को देखते हुए टीम प्रबंधन ने उन्हें काफी समय तक मौके दिए, लेकिन 2023 के वेस्टइंडीज दौरे के दौरान वह भरोसा भी खत्म हो गया.
"उम्र कोई बाधा नहीं है," रहाणे का बयान
रहाणे का मानना है कि उम्र चयन में बाधा नहीं होनी चाहिए. उन्होंने मुंबई में शरद पवार क्रिकेट अकादमी (BKC) में छत्तीसगढ़ के खिलाफ अपना 42वां प्रथम श्रेणी शतक लगाने के बाद कहा, 'ये उम्र की बात नहीं है, ये इरादे की बात है. लाल गेंद के प्रति जुनून और मेहनत की बात है. मैं उम्र पर विश्वास नहीं करता. ऑस्ट्रेलिया में माइकल हसी ने 30 की उम्र में डेब्यू किया और खूब रन बनाए. अनुभव लाल गेंद क्रिकेट में मायने रखता है. मुझे लगता है कि भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में मेरी ज़रूरत थी.'
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रहाणे ने आगे कहा, 'लोग कहते हैं कि 34-35 के बाद खिलाड़ी बूढ़े हो जाते हैं, लेकिन जो खिलाड़ी लाल गेंद क्रिकेट को लेकर जुनूनी हैं, उन्हें मौका मिलना चाहिए. चयनकर्ताओं को इरादे और जुनून पर ध्यान देना चाहिए, सिर्फ आंकड़ों पर नहीं. हर बार यह प्रदर्शन की बात नहीं होती, बल्कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि खिलाड़ी लाल गेंद से खेलने के लिए कितना समर्पित है.'
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