
ईरान पर प्रतिबंध का रास्ता साफ, यूएन ने खारिज किया रूस-चीन का प्रस्ताव
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ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध शनिवार को फिर से लागू हो रहे हैं. प्रतिबंधों को टालने की रूस और चीन की आखिरी कोशिश शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में विफल हो गई. पश्चिमी देशों ने दावा किया कि हफ्तों की बातचीत के बावजूद कोई ठोस समझौता नहीं हो सका.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को ईरान पर प्रतिबंधों को टालने के लिए रूस और चीन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया. ये अस्वीकृति 2015 के परमाणु समझौते में उल्लिखित प्रतिबंधों को लागू होने से एक दिन पहले हुई. ये कदम पश्चिमी देशों के यह दावा करने के बाद उठाया गया है कि हफ्तों की बातचीत से कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया.
ईरान पर प्रतिबंध प्रभावी होने के खिलाफ रूस और चीन ने प्रस्ताव पेश किया था जो जरूरी नौ देशों का समर्थन हासिल नहीं कर सका. इसके तहत अब 2015 के ईरान परमाणु समझौते के तहत शनिवार से संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध प्रभावी हो जाएंगे.
हमें उम्मीद थी
बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप-राजदूत दिमित्री पोलियांस्की ने कहा, 'हमें उम्मीद थी कि यूरोपीय सहयोगी और अमेरिका दोबारा सोचेंगे, और वे अपनी असफल ब्लैकमेल की बजाय कूटनीति और बातचीत का रास्ता चुनेंगे, जो केवल क्षेत्र में स्थिति को और बिगाड़ती है.' चार देशों- चीन, रूस, पाकिस्तान और अल्जीरिया ने एक बार फिर ईरान को E3 (ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी) तथा अमेरिका के साथ बातचीत के लिए ज्यादा वक्त देने का समर्थन किया.
फिर से फ्रीज हो जाएगी ईरान की संपत्ति
प्रतिबंधों की बहाली से ईरान की विदेशों में रखी संपत्ति फिर से फ्रीज हो जाएगी. साथ ही तेहरान के साथ हथियारों के सौदे रुक जाएंगे और ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के किसी भी विकास पर जुर्माना लगाया जाएगा. इन कदमों से देश की पहले से ही डगमगाती अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ेगा.

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