
इस राज्य में नाटेपन की दर सबसे ज्यादा, दूसरे नंबर पर झारखंड, राज्यसभा में सावित्री ठाकुर ने दिए आंकड़े
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राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने ये भी बताया कि करीब दो लाख आंगनवाड़ी केंद्रों को 'सक्षम आंगनवाड़ी' के रूप में अपग्रेड किया जा रहा है, जहां आधुनिक सुविधाएं और डिजिटल लर्निंग टूल्स उपलब्ध होंगे. अभी तक 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 88,716 मिनी आंगनवाड़ियों को अपग्रेड करने की मंजूरी दी गई है.
देश में पांच साल से कम उम्र के करीब 37 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पोषण ट्रैकर पर रजिस्टर्ड 37.07% बच्चे नाटेपन (स्टंटिंग) से पीड़ित हैं, 15.93% का वजन कम है और 5.46% बच्चे 'वेस्टेड' हैं.
'वेस्टेड' का मतलब है कि बच्चे की लंबाई के हिसाब से उसका वजन बहुत कम है. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने बताया कि उत्तर प्रदेश में नाटेपन की दर सबसे ज्यादा 48.83% है. इसके बाद झारखंड (43.26%), बिहार (42.68%) और मध्य प्रदेश (42.09%) का नंबर आता है.
आंकड़ों के अनुसार, जून 2025 तक 6 साल तक की उम्र के 8.61 करोड़ बच्चे इन सेवाओं के लिए रजिस्टर्ड थे, जो पिछले साल के 8.91 करोड़ की तुलना में थोड़ा कम है. इसके अलावा, ठाकुर ने बताया कि करीब दो लाख आंगनवाड़ी केंद्रों को 'सक्षम आंगनवाड़ी' के रूप में अपग्रेड किया जा रहा है, जहां आधुनिक सुविधाएं और डिजिटल लर्निंग टूल्स उपलब्ध होंगे. अभी तक 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 88,716 मिनी आंगनवाड़ियों को अपग्रेड करने की मंजूरी दी गई है.
ऑपरेशन सिंदूर पर भी होगी चर्चा
गौरतलब है कि संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुए तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन हंगामे के कारण कार्यवाही ठप पड़ी है. विपक्षी दल 'ऑपरेशन सिंदूर' और बिहार में मतदाता सूची के विशेष सत्यापन (एसआईआर) जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर लगातार हंगामा कर रहे हैं. दोनों सदनों में गतिरोध के बीच बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा की तारीख तय हो गई है.
लोकसभा में 28 जुलाई (सोमवार) को और राज्यसभा में 29 जुलाई (मंगलवार) को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विस्तृत चर्चा होगी. दोनों सदनों में इस मुद्दे पर 16-16 घंटे की बहस के लिए समय निर्धारित किया गया है. बीएसी की बैठक में विपक्ष ने अन्य मुद्दों पर भी कम समय की चर्चा (शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन) की मांग उठाई.

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