इस जिले की पुलिस ने शुरू किया AI-बेस्ड फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम, अब नहीं छुप सकेंगे आतंकी और अपराधी
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एआई-आधारित फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम एक उन्नत तकनीक है, जो आतंकवादियों, ओजीडब्ल्यू, भगोड़े, हिस्ट्रीशीटर, चोर और ड्रग पैडलर्स सहित आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों की पहचान करने और उन पर नज़र रखने के लिए डिज़ाइन की गई है.
आतंकियों और अपराधियों की धरपकड़ करने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक जिले में अहम शुरुआत की है. किश्तवाड़ सूबे का ऐसा पहला जिला बन गया जहां एआई आधारित चेहरे की पहचान प्रणाली यानी एआई आधारित फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (Facial Recognition System) को एक्टिव कर दिया गया है. इस सिस्टम का आगाज़ एसएसपी किश्तवाड़ खलील पोसवाल और एएसपी राजिंदर सिंह ने मोर्डन नाका द्राबशाल्ला में किया.
एआई-आधारित फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम एक उन्नत तकनीक है, जो आतंकवादियों, ओजीडब्ल्यू, भगोड़े, हिस्ट्रीशीटर, चोर और ड्रग पैडलर्स सहित आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों की पहचान करने और उन पर नज़र रखने के लिए डिज़ाइन की गई है. इस सिस्टम की तैनाती सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
एसएसपी किश्तवाड़ पोसवाल ने बताया कि आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्तियों का तेजी से पता लगाने और उन्हें पकड़ने में एआई-आधारित चेहरे की पहचान करने वाली यह प्रणाली बहुत खास है. आतंकवाद से लेकर स्थानीय अपराध तक विभिन्न प्रकार के खतरों की पहचान करने और समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
एसएसपी किश्तवाड़ खलील पोसवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एआई-आधारित चेहरे की पहचान प्रणाली स्मार्ट पुलिसिंग की दिशा में एक सार्थक पहल है. इस उन्नत तकनीक का लाभ उठाकर, कानून प्रवर्तन एजेंसियों का लक्ष्य न केवल अपराधियों को अधिक प्रभावी ढंग से ट्रैक करना है, बल्कि बुद्धिमान और सक्रिय पुलिसिंग के व्यापक ढांचे में भी योगदान देना है.
एसएसपी ने बताया कि यह कदम सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्मार्ट, प्रौद्योगिकी-संचालित कानून प्रवर्तन के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए नवीन समाधानों की एक मिसाल है. जिससे कानूनी एजेंसियों को लाभ मिलेगा.
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