
इमरान खान ने पाकिस्तान सेना के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा- देश के पास दो विकल्प
AajTak
पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने एक ट्वीट कर कहा कि आज देश के सामने दो विकल्प हैं. उन्होंने कहा, 'आज, हम अपने संवैधानिक इतिहास में एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां हम तुर्की की तरह हो सकते हैं या एक और म्यांमार बन सकते हैं. हमें दोनों में से किसी एक को चुनना होगा.'
पाकिस्तान की सेना पर टिप्पणी करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को कहा कि देश के पास दो विकल्प हैं - या तो तुर्की को फॉलो करें या दूसरा म्यांमार बन जाएं. म्यांमार में, सेना ने 2021 में आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) की लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को अपदस्थ कर दिया. जबकि तुर्की में, 2016 में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की सरकार को गिराने के लिए एक खूनी सैन्य तख्तापलट को अंजाम दिया गया था जिसे कि एर्दोगन सरकार ने नाकाम कर दिया था. तब लोग सड़कों पर उतर आए थे और सत्ता परिवर्तन का विरोध किया था.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख ने सोमवार को ट्वीट किया, 'आज, हम अपने संवैधानिक इतिहास में एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां हम तुर्की की तरह हो सकते हैं या एक और म्यांमार बन सकते हैं. हर किसी को यह चुनना होगा कि वे संविधान, कानून और लोकतंत्र के शासन के साथ खड़े हैं या जंगलराज, फासीवाद और भ्रष्ट माफियाओं के साथ खड़े हैं.'
इमरान ने पाक सेना के खिलाफ खोला मोर्चा
पाकिस्तानी सेना ने अपने अस्तित्व के 75 से ज्यादा वर्षों के समय में आधे से ज्यादा वर्षों के लिए तख्तापलट वाले देश पर शासन किया है और अब तक सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में काफी शक्ति का इस्तेमाल किया है. पिछले साल अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से ही इमरान खान का पाकिस्तान की सेना के साथ टकराव चल रहा है. उन्होंने सेना से इस साल के अंत में होने वाले आम चुनावों में 'राजनीतिक इंजीनियरिंग' से परहेज करने को कहा है.
संवैधानिक संकट में पाकिस्तान
बता दें कि राजनीतिक और आर्थिक संकट के बाद, PMLN की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार द्वारा पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों की विधानसभाओं के चुनाव गत जनवरी में उनके विघटन के 90 दिनों के भीतर चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करने से इनकार करने के बाद, पाकिस्तान एक संवैधानिक संकट में डूब गया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खास बातचीत में आतंकवाद विषय पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए. इस बातचीत में पुतिन ने साफ कहा कि आतंकवादियों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदि आजादी के लिए लड़ना है तो वह कानून के दायरे में होना चाहिए. पुतिन ने ये भी बताया कि आतंकवाद से लड़ाई में रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.







