
आज का दिन: यूक्रेन संकट पर आमने-सामने अमेरिका और रूस, क्या ये है तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत?
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रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लगभग शुरू हो चुका है. इस बढ़ते तनाव के बीच तीसरे विश्व युद्ध की चर्चा भी शुरू हो गई है. लेकिन ये चर्चा कितनी वाजिब है? एनसीपी नेता नवाब मलिक ने अपने बचाव में क्या-क्या दलीलें दीं. सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.
रूस-यूक्रेन विवाद की जिस रोज़ से ख़बर आनी शुरू हुई थी. तभी से ये बातें होने लगी थीं, कि रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है, यूक्रेन के बॉर्डर पर उसने लाखों की संख्या में सैनिक तैनात किए हुए हैं. और फिर इसी बीच एंट्री हुई अमेरिका और नाटो की. रूस पर दबाव बनाने की कोशिश की गई लेकिन दो रोज़ पहले ही रूस ने पूर्वी यूक्रेन के लुहान्सक और दोनेत्स्क राज्य को आज़ाद मुल्क की मान्यता दे दी. अब वेस्टर्न कंट्रीज रूस के इस फैसले को लेकर उसे टारगेट कर रहे हैं और उस पर कई तरह की सैंक्शंस लगा रहे हैं. यूरोपीय यूनियन की इस मसले को लेकर आज मीटिंग भी होनी है. वहीं कल तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैयब एर्दोआन ने पुतिन से फोन पर बातचीत की थी और कहा था कि वो यूक्रेन के खिलाफ उठाए गए रूस के किसी भी कदम का समर्थन नहीं करेंगे. लेकिन रूस को इन सब से जैसे कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ा रहा है. और अब इस बढ़ते तनाव के बीच तीसरे विश्व युद्ध की चर्चा भी शुरू हो गई है. लेकिन ये चर्चा कितनी वाजिब है? इसका कोई ग्राउंड भी है या नहीं?

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.









