
अहमदाबाद: रामानंद ट्रस्ट अस्पताल में मोतियाबिंद सर्जरी के बाद 20 मरीजों की नहीं लौटी आंखों की रौशनी
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मामले की गंभीरता को देखते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने सुओमोटो लेते हुए गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर सवाल किया है कि ये गंभीर घटना कैसे घटी? क्या दवा की गुणवत्ता, सुविधा का अभाव या प्रोटोकॉल का भंग इसके लिए जिम्मेदार था? गुजरात हाईकोर्ट इस मामले पर 7 फरवरी के दिन सुनवाई करेगा.
गुजरात के अहमदाबाद में मांडल स्थित रामानंद ट्रस्ट अस्पताल में मोतियाबिंद सर्जरी के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी प्रभावित होने के मामले में मांडल से 15 और मरीजों को अहमदाबाद स्थित आंख की सिविल हॉस्पिटल में लाया गया है. इसी के साथ मांडल से अहमदाबाद में रेफर होने वाले मरीजों की संख्या 20 पर जा पहुंची है. 20 में से 3 मरीजों की हालत स्थिर बताई जा रही है बाक़ी के 17 मरीजों में रोशनी से संबंधित समस्याए अभी भी जारी है.यह भी पढ़ें: पक्षी को बचाने पहुंचा था शख्स लेकिन गंवा बैठा अपनी ही जान, हाई टेंशन तार की चपेट में आने से मौत
विरमगाम के पास मांडल के रामानंद ट्रस्ट अस्पताल में 10 जनवरी को मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी प्रभावित होने का मामला सामने आया था. जिसके बाद शुरुआत में 15 जनवरी को पांच मरीजों को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में रेफर किया गया था. अहमदाबाद सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. स्वाति रवानी ने कहा, मांडल से 20 मरीज रेफर हुए है. तीन मरीजों की स्थिति पहले से बहेतर है. बाक़ी के 17 मरीजों में अभी भी अलग अलग समस्याए हैं. रोशनी में समस्या, धुंधला दिखाई देना, आंखों में दर्द, आंखे लाल होना, आंखो से पानी गिरने की शिकायत सामने आ रही है. तमाम का इलाज जारी है. किसकी कितनी रोशनी, कब तक लौटेगी अभी कह पाना मुश्किल है.
अगले आदेश तक सर्जरी पर रोक मांडल के रामानंद ट्रस्ट अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद मरीजों की रोशनी ना लौटने की शिकायत के बाद अगले आदेश तक कोई भी सर्जरी नहीं करने के अस्पताल को आदेश दिये जा चुके है. मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद रोशनी ना लौटने के मामले की पूरी जानकारी लेने के लिए गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल खुद अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल पहुंचे थे और मरीजों से बातचीत कर संपूर्ण इलाज का भरोसा दिलाया है.
दूसरी तरफ इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने सुओमोटो लेते हुए गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर सवाल किया है कि ये गंभीर घटना कैसे घटी? क्या दवा की गुणवत्ता, सुविधा का अभाव या प्रोटोकॉल का भंग इसके लिए जिम्मेदार था? गुजरात हाईकोर्ट इस मामले पर 7 फरवरी के दिन सुनवाई करेगा.
बता दें कि मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद रोशनी ना लौटने पर मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने अहमदाबाद सिविल होस्पिटल से डॉक्टरों की टीम मांडल भेजी थी. पिछले कुछ सप्ताह में जिनकी सर्जरी की गई, उन तमाम की विशेष डॉक्टरों की टीम ने जांच की तो 15 और ऐसे मरीज पाये गए, जिनमें सर्जरी के बाद रोशनी से संबंधित गंभीर समस्या पायी गई. उन तमाम मरीजों को अहमदाबाद सिविल में रेफर कर दिया गया है. इसी के साथ अहमदाबाद में इलाज के लिए रेफर मरीजों की संख्या बढ़कर 20 हो चुकी है.

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