
अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने का भारत पर क्या असर? समझें अमेरिकी पॉलिसी का इंडिया कनेक्शन
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चीन, ईरान, रूस या मिडिल ईस्ट के विपरीत अमेरिका में सत्ता परिवर्तन को लेकर भारत किसी तरह की टेंशन में नहीं है. पिछले राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध काफी घनिष्ठ हुए हैं. दोनों उम्मीदवार, ट्रंप और हैरिस, मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों का समर्थन करते हैं और दोनों पार्टियों के पास लंबे समय से ऐसे विशेषज्ञ हैं जो इस साझेदारी को गहरा करने के इच्छुक हैं.
पूरी दुनिया की नजर इस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर है जिसकी वोटिंग 5 नवंबर को होगी. रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक कमला हैरिस के बीच मुकाबला बेहद करीबी है. प्रचार अपने अंतिम दौर में है और दोनों ही उम्मीदवार देशवासियों से समर्थन करने और उन्हें व्हाइट हाउस भेजने की भावुक अपील कर रहे हैं. अन्य देशों की तरह भारत भी इस चुनाव पर करीब से नजर बनाए हुए है. सवाल है कि अमेरिका में अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो उसका भारत पर क्या असर पड़ेगा. एक तरफ ट्रंप हैं जो भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के पुराने पक्षधर हैं. उनकी और पीएम मोदी की दोस्ती जगजाहिर है. तो वहीं दूसरी तरफ कमला हैरिस हैं जिनके भारतीय मूल की वजह से भारत के लोग उन्हें ज्यादा करीबी मानते हैं.
हालांकि पीएम मोदी के हालिया अमेरिकी दौरे के बावजूद पिछले कुछ समय में कई चीजों को लेकर भारत और अमेरिका के बीच तल्खी आई है. अमेरिका ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में एक भारतीय नागरिक पर आरोप तय किए हैं. भारत-कनाडा विवाद को लेकर अमेरिका ने बयान दिया था कि 'कनाडा के आरोप गंभीर हैं और भारत को उसकी जांच में सहयोग करना चाहिए.' हाल ही में अमेरिका ने रूस के सैन्य-औद्योगिक अड्डे का कथित रूप से समर्थन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की. इसके तहत 275 व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए जिनमें भारत की 15 कंपनियां भी शामिल हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने का भारत पर क्या असर पड़ेगा.
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बाइडेन के कार्यकाल में मजबूत हुए रिश्ते
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन को लेकर भारत को चीन, ईरान, रूस या मिडिल ईस्ट जैसी चिंता नहीं है. पिछले राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध काफी घनिष्ठ हुए हैं. दोनों उम्मीदवार, ट्रंप और हैरिस, मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों का समर्थन करते हैं और दोनों पार्टियों के पास लंबे समय से ऐसे विशेषज्ञ हैं जो इस साझेदारी को गहरा करने के इच्छुक हैं.
नए राष्ट्रपति से भारत के साथ संबंधों पर क्या असर पड़ेगा? विशेषज्ञों के अनुसार, अगर व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मजबूत व्यक्तिगत संबंधों का लाभ दोनों देशों को मिल सकता है. ये संबंध एक ऐसी विदेश नीति को बढ़ावा देंगे जिसमें व्यापार, बाजार तक पहुंच और आप्रवासन जैसे मुद्दों पर संतुलन देखने को मिलेगा. दूसरी ओर, राष्ट्रपति बाइडेन की तरह, कमला हैरिस भी दक्षिण एशिया में भारत को चीन के सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखती हैं और वह मतभेदों को बढ़ावा नहीं देंगी.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

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