
अमेरिका में कितनी तरह के होते हैं गोपनीय दस्तावेज, Trump क्यों ले रहे सीक्रेट फाइल्स खोलने का फैसला?
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अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या से जुड़ी फाइलें डीक्लासिफाई कर दी गईं, यानी वे लोगों के सामने हैं. यूएस आर्काइव की फाइल्स के अनुसार खुद CIA ने अपने ही नेता की हत्या करवा दी. ये दस्तावेज लगभग 6 दशक बाद खुले हैं. एक पूरा सिस्टम इसपर काम करता है कि कौन सी फाइल्स कितने अंधेरे में रखी जाएं और कब उन्हें खोला जाए.
डोनाल्ड ट्रंप आने के बाद से कई काम कर रहे हैं, जिनमें से एक है कई गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करना. ट्रंप प्रशासन ने हाल में राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की साल 1963 में हुई हत्या से जुड़ी फाइल्स जारी कीं. इसके अलावा वियतनाम से जुड़े पेंटागन पेपर भी ट्रंप पहले कार्यकाल में ही डीक्लासिफाई कर चुके ताकि जनता को कई नई बातें पता लगें. लेकिन सवाल ये है कि फाइलें क्यों लंबे समय तक कॉन्फिडेंशियल रखी जाती हैं, और अगर वे गोपनीय रखने लायक हैं तो उन्हें रिलीज क्यों किया जाता है.
हर सरकार के पास ऐसे दस्तावेज होते हैं जो नेशनल सिक्योरिटी, आर्मी या सुरक्षा एजेंसियों के काम या डिप्लोमेटिक बातचीत से जुड़े होते हैं. ये संवेदनशील जानकारी है, जिसका लीक होना खतरा ला सकता है. ऐसे में सरकारें इन्हें बेहद गोपनीय रखती हैं. कुछ फाइल्स के बारे में इक्का-दुक्का लोग ही जानते हैं, कुछ के बारे में कुछ निश्चित लोग, तो कुछ का पता एक पूरे डिपार्टमेंट को होता है.
सालों या दशकों बाद कई सरकारें तय करती हैं कि दस्तावेज जनता के लिए रिलीज हो जाने चाहिए. ये तब होता है, जब जानकारी खुलने से देश को कोई खतरा न हो, साथ ही कई बार इससे उस खास सरकार को फायदा भी होता है जैसे जनता के बीच उसकी छवि ज्यादा पारदर्शी सरकार की बन जाती है.
कैनेडी फाइल्स खोलने से ट्रंप को क्या फायदा ट्रंप साल 2017 से कैनेडी फाइल्स की किस्तें खोलने में लगे हुए थे. ये केवल ऐतिहासिक पारदर्शिता का मुद्दा नहीं, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक रणनीति भी हो सकती है. ट्रंप अक्सर डीप स्टेट की बात करते रहे. ये वो शक्तिशाली लोग हैं जो कथित रूप से सरकार को कंट्रोल करते हैं. ट्रंप की मानें तो पिछली सरकारें कई बात छिपाती रहीं. वे इसमें सुरक्षा एजेंसियों के मिले होने की बात भी करते रहे.
पारदर्शी लीडर की छवि बनेगी

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.








