
अमेरिका ने क्यों ईरान को 'स्टेट-स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म' की लिस्ट में डाल दिया, कितने आतंकी गुट हैं इस देश में?
AajTak
इजरायल पर ईरान की जिस फोर्स ने ड्रोन हमला किया, उसे काफी पहले ही कई देश आतंकी घोषित कर चुके. ईरान में इसके अलावा भी कई आतंकी समूह फलते-फूलते रहे हैं. यहां तक कि अमेरिका ने पूरे देश ही को स्टेट-स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म घोषित कर दिया. जानिए, किसी देश को इस तरह की उपाधि मिलने पर क्या होता है. और- सरकार क्यों खुद आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है.
मिडिल ईस्ट में आई अस्थिरता एक बार फिर दुनिया को परेशान कर रही है. एनालिस्ट अंदेशा जता रहे हैं कि युद्ध की चिंगारी कहीं आग में न बदल जाए. इस बीच ईरान के कई ऐसे संगठनों का नाम आ रहा है, जो लगातार पड़ोसी देशों को परेशान करते रहे. इस संगठनों के साथ दिलचस्प बात ये है कि खुद ईरान की सरकार इन्हें बढ़ावा दे रही है. या फिर बढ़ावा न दे तो भी नकेल कसने जैसा कुछ नहीं कर रही. यही सब देखते हुए साल 1984 में यूएस ने ईरान को स्टेट-स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म कह दिया.
क्या हैं इसके मायने यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ये उपाधि देता है. फिलहाल ईरान के अलावा तीन और देश इस श्रेणी में हैं- क्यूबा, सीरिया और नॉर्थ कोरिया. ये चारों ही देश वे हैं, जिनसे अमेरिका का संबंध तनावभरा रहा. इस कारण से स्टेट डिपार्टमेंट विवादों में भी रहता आया है. बहुत से देश आरोप लगाते हैं कि अमेरिका हर उस देश की सरकार को आतंकवाद को पोसनेवाले की लिस्ट में डाल देती है, जिससे उसके रिश्ते खराब हों. मसलन, क्यूबा और उत्तर कोरिया की सरकारें टैररिस्ट ग्रुप्स की एक्टिव सपोर्टर नहीं, लेकिन सिर्फ अमेरिका के खिलाफ होने की वजह से वे लिस्ट में आ गए.
क्या फर्क पड़ता है लिस्ट में आने पर
इस सूची में आने का सीधा मतलब है देश की इकनॉमी पर असर पड़ना. अमेरिका इसके बाद देश पर कई पाबंदियां लगा देता है. साथ ही वहां के बड़े उद्योगपतियों को भी बैन कर देता है ताकि वे व्यापार न बढ़ा सकें. बात यहीं खत्म नहीं होती. यूएस उन देशों पर भी पाबंदियां लगाता है जो इस लिस्ट में आए देशों से व्यापार करे.
ईरान का क्या है मसला साल 1979 में इस्लामिक क्रांति के चार सालों के भीतर ही अमेरिका ने ईरान की सरकार को टैररिज्म को बढ़ावा देने वाला घोषित कर दिया. स्टेट डिपार्टमेंट का कहना है कि देश खुद आतंकी गुटों को बनने और मजबूत होने में मदद दे रहा है. वो उन्हें आर्थिक मदद देता है, मिलिटेंट की ट्रेनिंग करवाता है और उन्हें हथियार भी मुहैया करवाता है. खासकर हिजबुल्लाह को. यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के मुताबिक, अकेले साल 2020 में ईरान ने हिजबुल्लाह को 7 सौ मिलियन डॉलर से ज्यादा की सहायता की थी.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.







