Uttarkashi Tunnel Rescue: माथा चूमा, गले लगाया... जेवर गिरवी रख मजदूर बेटे के पास पहुंचा पिता फफक पड़ा, CM धामी भी हो गए इमोशनल
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Silkyara Tunnel Rescue: यूपी के लखीमपुर-खीरी से आए मजदूर मंजीत चौधरी के पिता ने बताया कि जैसे ही बेटे के उत्तरकाशी सुरंग में फंसे होने की खबर मिली हमारे होश उड़ गए थे. बेटे तक पहुंचने के पैसे नहीं थे. जेवर-गहने गिरवी रखकर पैसे जुटाए. अब सिर्फ 290 रुपये ही बचे हैं. लेकिन कोई बात नहीं बेटा तो आ गया है.
हमारा जो एक पौधा बचा था, वो हमे मिल गया... उत्तरकाशी में सुरंग के बाहर चेहरे पर मुस्कान लिए और आंखों में आंसू छिपाए एक पिता के मुंह से जब ये शब्द निकले तो हर किसी का दिल भर आया. 16 दिन बाद जैसे ही सुरंग से बेटा बाहर आया पिता ने माथा चूमकर अपने लाल का स्वागत किया. इस दौरान पिता-पुत्र दोनों भावुक हो उठे. भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा. वहीं, सीएम पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और अन्य लोग उन्हें निहारते रहे.
दरअसल, ये कहानी है यूपी के लखीमपुर-खीरी में रहने वाले मंजीत चौधरी की. मंजीत उन 41 मजदूरों में शामिल था जो 12 नवंबर से सुरंग के अंदर फंसे हुए थे. जैसे ही ये खबर उसके घर पहुंची वहां कोहराम मच गया. वह अपने घर का इकलौता बेटा था. माता-पिता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. ऐसे में मंजीत के पिता ने उत्तरकाशी जाकर बेटे की हाल खबर लेने की ठानी. लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो वहां तक जा सकें.
मजबूरी में चौधरी ने घर के जेवर गिरवी रखे और 9 हजार रुपये जुटाए. इन्हीं रुपयों की मदद से वो उत्तरकाशी तक पहुंचे. उत्तरकाशी में वो बेटे मंजीत के निकलने तक सुरंग के बाहर डटे रहे. ठंड के मौसम में दिन-रात उसके इंतजार में बैठे रहे. प्रार्थना करते रहे. आखिरकार, 28 नवंबर को वो दिन आ गया जब पिता-पुत्र का मिलन हुआ. लम्हा भावुक कर देने वाला था.
मंजीत के पिता का ये वीडियो हो रहा वायरल
जब मंजीत के सुरंग से बाहर आने में कुछ ही घंटे बचे थे तो पिता ने मीडिया से बातचीत में दिल छू लेने वाली बातें कहीं. उन्होंने भावुक होकर बताया कि बड़े बेटे की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी. वहीं, दूसरा बेटा मंजीत टनल में फंसा हुआ है. उसे खोना नहीं चाहता. हमारा जो एक पौधा बचा था, वो हमे मिल गया. बहुत खुशी है.
मंजीत के पिता कहते हैं- घर में इतने पैसे भी नहीं थे कि उत्तरकाशी पहुंचने के लिये किराया दे सकें. बेटे तक पहुंचने के लिए घर के जेवर को गिरवी रख दिया. इससे करीब 9 हजार रुपये उधार मिले. फिर उन्हीं पैसे से लखीमपुर से हरिद्वार पहुंचा और वहां से उत्तरकाशी की बस लेकर टनल साईट पहुंच गया. अब सिर्फ 290 रुपये बचे हैं. मगर कोई बात नहीं, बेटा तो आ ही गया है. बेटे का माथा चूमा, गले लगाया
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