UP: दो MLC सीटों के लिए 11 अगस्त को होगा चुनाव, विधान परिषद में अभी 8 सीटें खालीं
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चुनाव के संबंध में नोटिफिकेशन 25 जुलाई को जारी किया जाएगा. वहीं, नामांकन की आखिरी तारीख 1 अगस्त होगी. इसके बाद प्रत्याशी 4 अगस्त तक अपना नाम वापस ले सकेंगे. 11 अगस्त को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक मतों की गिनती की जाएगी.
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 2 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है. इसमें से एक सीट समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अहमद हसन के निधन के बाद 20 फरवरी को खाली हुई थी. वहीं, दूसरी सीट भाजपा नेता जयवरी सिंह ठाकुर के इस्तीफा देने के बाद 24 मार्च को खाली हुई थी. इस चुनाव के नतीजे
चुनाव के संबंध में नोटिफिकेशन 25 जुलाई को जारी किया जाएगा. वहीं, नामांकन की आखिरी तारीख 1 अगस्त होगी. इसके बाद प्रत्याशी 4 अगस्त तक अपना नाम वापस ले सकेंगे. 11 अगस्त को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक मतों की गिनती की जाएगी. इस दिन ही शाम 5 बजे से मतगणना की जाएगी. निर्वाचन आयोग के मुताबिक चुनाव के दौरान कोविड-19 गाइडलाइंस का पालन किया जाएगा.
आठ एमएलसी सीट अब भी खाली
विधान परिषद में अभी तक आठ रिक्तियां रह गईं हैं. इनमें सपा के अहमद हसन का निधन होने और सपा के मनोनीत सदस्यों बलवंत सिंह रामूवालिया, वरिष्ठ शायर वसीम बरेलवी, मधुकर जेटली तथा डा.राजपाल कश्यप, अरविन्द कुमार सिंह तथा डा.संजय लाठर का कार्यकाल खत्म हो गया. वहीं, भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह परिषद सदस्य थे, जिनका कार्यकाल 5 मई 2024 तक था मगर विधान सभा चुनाव में जीतने के बाद उन्होंने परिषद से इस्तीफा दे चुके हैं. इस तरह से विधान परिषद में अब आठ सीटें खाली हैं.
मुख्यमंत्री विधान परिषद के सदस्य रहे
सूबे में इस समय कांग्रेस का एक भी विधान परिषद सदस्य नहीं है. हालांकि, विधान परिषद में कांग्रेस के बेहतरीन सफरनामे की मिसाल उच्च सदन की सदस्य रहीं वे शख्सियतें भी हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की सत्ता की बागडोर थामी. प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे पंडित गोविंद बल्लभ पंत 1924 से 1929 तक विधान परिषद सदस्य रहे तो दूसरे मुख्यमंत्री रहे डा.सम्पूर्णानन्द 1927 से 1929 तक विधान परिषद सदस्य रहे. वह परिषद में कांग्रेस दल के मंत्री भी रहे. तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चन्द्रभानु गुप्त व नारायण दत्त तिवारी, सुचेता कृपलानी, विश्वनाथ प्रताप सिंह और श्रीपति मिश्र भी विधान परिषद के सदस्य रहे. इसके अलावा सूबे की सत्ता की कमान संभालने वाली मायावती और योगी आदित्यनाथ भी विधान परिषद के सदस्य रहे.
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