RSS पदाधिकारियों और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के बीच दूसरी बार हुई मुलाकात, दोनों तरफ से मौजूद रहे ये लोग
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के पांच सदस्यीय दल की दूसरी मुलाकात हुई है. इस बैठक में संघ की तरफ से रामलाल, कृष्ण गोपाल और इंद्रेश कुमार तो वहीं, मुसलमानों की तरफ से पूर्व LG नजीब जंग, शाहिद सिद्दीकी, एस वाई कुरैशी, जमात ए इस्लामी की तरफ से मलिक मोहतसिम और दारुल उलूम से जुड़े लोग शामिल रहे. आरएसएस पदाधिकारी और मुस्लिम बुद्धिजीवी 14 जनवरी को साथ बैठे थे. इन मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कुछ समय पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात की थी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के पांच सदस्यीय दल की दूसरी मुलाकात हुई है. इस बैठक में संघ की तरफ से रामलाल, कृष्ण गोपाल और इंद्रेश कुमार तो वहीं, मुसलमानों की तरफ से पूर्व LG नजीब जंग, शाहिद सिद्दीकी, एस वाई कुरैशी, जमात ए इस्लामी की तरफ से मलिक मोहतसिम और दारुल उलूम से जुड़े लोग शामिल रहे. आरएसएस पदाधिकारी और मुस्लिम बुद्धिजीवी 14 जनवरी को साथ बैठे थे. इन मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कुछ समय पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात की थी.
इससे पहले ये मुस्लिम बुद्धिजीवी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत से भी मुलाकात कर चुके हैं. इनकी बैठक भागवत के साथ पूरे दो घंटे तक चली थी. इस दौरान देश में सांप्रदायिक सौहार्द मजबूत करने और हिंदू-मुस्लिमों के बीच गहरी होती खाई को पाटने की जरूरत पर बल दिया गया था. मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर काम करने के लिए भागवत ने संघ के 4 सदस्यों को नियुक्त करने की बात कही थी.
संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने वालों में पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति जमीरुद्दीन शाह और कारोबारी सईद शेरवानी शामिल थे. ये मुलाकात 22 अगस्त 2022 को दिल्ली में हुई थी. मोहन भागवत से मिलने की पहल मुस्लिम बुद्धिजीवियों की ओर से की गई थी. पहल बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने के बाद की गई थी.
पत्र लिखकर भागवत से मांगा था वक्त शाहिद सिद्दीकी ने aajtak.in को बताया था कि देश में बिगड़ रहे सांप्रदायिक सौहार्द पर चिंतन करने के लिए पहले पांचों सदस्यों ने आपस में बात की थी. इस दौरान सभी ने तय किया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिला जाए और उनके साथ सारे मुद्दे पर मंथन किया जाए, क्योंकि संघ का प्रभाव जिस तरह हिंदू समुदाय के बीच बढ़ा है, ऐसे में उसे दरकिनार कर आगे नहीं बढ़ा जा सकता. इसके बाद ही संघ प्रमुख को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा गया था, जिस पर उन्होंने काफी दिनों के बाद 22 अगस्त को वक्त दिया था.
22 अगस्त को संघ प्रमुख से मुलाकात दिल्ली के झंडेवालान स्थित संघ के अस्थायी कार्यालय उदासीन आश्रम में हुई थी. बैठक करीब 2 घंटे चली थी. शाहिद सिद्दीकी ने बताया था कि इस दौरान देश में सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने और अंतर-सामुदायिक संबंधों में सुधार पर व्यापक चर्चा हुई थी. संघ प्रमुख ने बैठक के दौरान साफ तौर पर कहा कि हमें न तो इस्लाम से कोई दिक्कत है, न कुरान से और न ही मुसलमानों से. ऐसे में हमें भी गलतफहमी को दूर करना चाहिए और एक दूसरे के लिए अपने-अपने दिलों के दरवाजे खोलने चाहिए ताकि माहौल अच्छा हो सके.
शाहिद सिद्दीकी ने बताया था कि संघ प्रमुख के साथ बैठक के दौरान इस बात पर सहमति बनी थी कि हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी एकता को मजबूत किए बिना देश प्रगति नहीं कर सकता. तय हुआ था कि दोनों ही पक्ष अपने-अपने समाज के बीच इसे लेकर काम करेंगे.
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