Qutub Minar: कुतुब मीनार या विष्णु स्तंभ? कोर्ट में 800 साल पुराने इतिहास पर चर्चा, जानिए किस पक्ष की क्या है दलील
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कुतुब मीनार की जिस मस्जिद को लेकर साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई वहां नमाज नहीं होती है. हिंदू पक्ष का दावा है कि ये मस्जिद देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़कर बनाई गई थी, लिहाजा अ उन्हें यहां पूजा का अधिकार दिया जाए. हिंदू पक्ष ने ये भी कहा है कि वो मंदिर निर्माण नहीं चाहते हैं सिर्फ पूजा का अधिकार चाहते हैं.
दिल्ली स्थित कुतुब मीनार की मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ गया है. यहां दो मस्जिद हैं- कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद और मुगल मस्जिद. मुगल मस्जिद में इसी महीने नमाज पर रोक लगाई गई है. जबकि कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद में देवी-देवताओं की मूर्तियां होने का दावा किया गया है और यहां पूजा की मांग की गई है. बता दें कि दोनों मस्जिद के मामले अलग-अलग हैं, कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद में नमाज होती ही नहीं है सिर्फ मुगल मस्जिद में नमाज होती थी, जिस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है. कोर्ट में फिलहाल जो विवाद है वो कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद को लेकर ही है. मंगलवार को दिल्ली के साकेत कोर्ट में कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद मामले में सुनवाई हुई. हिंदू पक्ष की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 27 मंदिरों को धवस्त कर कुव्वत उल इस्लाम को कुतुब मीनार परिसर के अंदर स्थापित किया गया.
हिंदू पक्ष का क्या दावा और क्या मांग
कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़कर ये मस्जिद बनाई गई थी, लिहाजा हमें वहां पूजा का अधिकार दिया जाना चाहिए. साथ ही हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि हम कोई मंदिर निर्माण नहीं चाहते, बल्कि वहां सिर्फ पूजा का अधिकार चाहते हैं.
मुकदमे में हिंदू पक्ष की तरफ से ये दावा भी किया गया है कि कुतुब मीनार परिसर में हिंदू देवताओं और श्री गणेश, विष्णु और यक्ष समेत देवताओं की स्पष्ट तस्वीरें और मंदिर के कुओं के साथ कलश और पवित्र कमल जैसे कई प्रतीक हैं, जो इस इमारत के हिंदू मूल को दर्शाते हैं.
कोर्ट में क्या क्या दलीलें दी गईं
-याचिकाकर्ता के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि हमारे पास पुख्ता सबूत हैं कि 27 मंदिर तोड़कर कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनाई गई. मुस्लिमों ने यहां कभी नमाज अदा नहीं की. मुस्लिम आक्रमणकारी मंदिरों को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण कर इस्लाम की ताकत दिखाना चाहते थे.
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