Power Crisis: कोयला संकट के बाद भी दिल्ली में बिजली कटौती नहीं, जानें क्या है वजह
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दिल्ली को अलग-अलग बिजली संयंत्रों से बिजली की आपूर्ति होती है. बिजली कंपनियों से लंबी अवधि के लिए समझौते किये गए हैं. साथ ही बिजली संकट से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी को बेहतर तरीके से तैयार किया जाता है. दिल्ली के निवासियों को बिना रुकावट बिजली आपूर्ति देने की लिए वर्षों काम किया गया है.
पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में बिजली संकट के बीच एक सवाल उठ रहा है कि दिल्ली को बिजली कटौती का सामना क्यों नहीं करना पड़ा? क्या दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी या बेहतर मैनेजमेंट के चलते कुछ विशेष तवज्जो दी जा रही? जवाब है हां.
दिल्ली ने विभिन्न बिजली संयंत्रों से बिजली की आपूर्ति के लिए विशेष डील की है. साथ ही बिजली संकट से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी को बेहतर तरीके से तैयार किया गया है. निजी डिस्कॉम और सरकारी एजेंसियों के बेहतर प्रबंधन की वजह से यह सब संभव हो पाया है. जानते हैं कि दिल्ली को किन मुख्य वजहों ने बिजली संकट से बचाया.
लंबी अवधि के किए बिजली खरीद के समझौते
दिल्ली में बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी BRPL, BYPL और TPDDL की है. BRPL पश्चिमी और दक्षिणी दिल्ली, BYPLपूर्वी और मध्य दिल्ली और TPDDL उत्तर और उत्तर पश्चिमी दिल्ली को बिजली की आपूर्ति करता है. नई दिल्ली में बिजली वितरण का काम नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) करता है. ये सभी एजेंसियां बिजली खरीदती हैं फिर अपने निर्धारित क्षेत्रों में इसकी आपूर्ति करती हैं. निजी बिजली कंपनियों के कई बिजली उत्पादन संयंत्रों से बिजली खरीद के लंबी अवधि के समझौते होते हैं. इससे बिजली खरीदने और बेचने वाले दोनों को फायदा पहुंचता है.
चार संयंत्रों से मिलती है 10 हजार मेगावॉट बिजली
दिल्ली की डिस्कॉम ने मांग के अनुसार बिजली की व्यवस्था की है. दिल्ली की निजी वितरण कंपनी के सूत्रों के मुताबिक तीनों कंपनियों ने अलग-अलग आवंटन के तहत करीब 7500 मेगावॉट की व्यवस्था की है. दिल्ली को बिजली की आपूर्ति करने वाली प्रमुख कंपनी दिल्ली के बवाना स्थित गैस टर्बाइन पावर प्लांट है, जिसमें से लगभग 1100 मेगावॉट बिजली की व्यवस्था है. यूपी में दादरी-द्वितीय संयंत्र करीब 725 मेगावॉट बिजली दिल्ली को देता है वहीं हरियाणा में झज्जर संयंत्र लगभग 700 मेगावॉट बिजली की व्यवस्था करता है.
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