
PAK के दोस्त तुर्की पर ट्रेड स्ट्राइक... उदयपुर के मार्बल कारोबारी नहीं भेजेंगे माल तो पुणे में सेब का बॉयकाट
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भारत ने अब पाकिस्तान के साथ खड़े होने वाले तुर्की को आर्थिक मोर्चे पर करारा जवाब देना शुरू कर दिया है. देश में 'ट्रेड स्ट्राइक' का बिगुल बज चुका है. अब भारतीय व्यापारियों ने ठान लिया है कि वे इस देश पर अपनी कमाई की एक फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं करेंगे. पुणे के व्यापारियों ने तुर्की से सेब खरीदना पूरी तरह बंद कर दिया है. वे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ईरान और अन्य क्षेत्रों से सेब मंगवा रहे हैं. वहीं, उदयपुर में मार्बल कारोबारी भी तुर्की से व्यापार रोकने का निर्णय ले चुके हैं.
भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव का असर अब केवल कूटनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका प्रभाव देश के व्यापारिक वर्ग और आम लोगों के फैसलों में भी साफ झलकने लगा है. तुर्किये (तुर्की) द्वारा पाकिस्तान का खुलेआम समर्थन करने के बाद देशभर में 'बॉयकॉट तुर्की' अभियान ने जोर पकड़ लिया है. महाराष्ट्र के पुणे से लेकर राजस्थान के उदयपुर तक व्यापारियों ने तुर्की से आयातित वस्तुओं का बहिष्कार कर तुर्की को आर्थिक मोर्चे पर जवाब देने का ऐलान कर दिया है.
एजेंसी के अनुसार, महाराष्ट्र के पुणे में व्यापारियों ने तुर्की से आयात होने वाले सेबों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी है. स्थानीय बाजारों से ये सेब गायब हो गए हैं और ग्राहकों ने भी इसका बहिष्कार कर दिया है. हर साल पुणे के फलों के बाजार में तुर्की सेबों की हिस्सेदारी लगभग ₹1,000 से ₹1,200 करोड़ की होती है, लेकिन अब यह कारोबार ठप हो गया है.
पुणे के एपीएमसी (कृषि उत्पन्न बाजार समिति) मार्केट में सेब व्यापारी सय्योग जेंडे ने बताया कि हमने तुर्की से सेब मंगवाना पूरी तरह बंद कर दिया है. अब हम हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान और अन्य स्रोतों से सेब मंगा रहे हैं. यह फैसला देशभक्ति की भावना से प्रेरित है और सरकार के समर्थन में लिया गया है. एक अन्य फल व्यापारी ने कहा कि तुर्की सेबों की मांग में करीब 50% की गिरावट आई है और उपभोक्ता अब खुलकर उनका बहिष्कार कर रहे हैं.
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पुणे के स्थानीय निवासियों ने भी इस बहिष्कार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. एक ग्राहक ने कहा कि जब हमारे देश के खिलाफ खड़े होने वाले देश से सामान लेने की कोई मजबूरी नहीं है, तो फिर क्यों लें? हमारे पास अपने देश में और दूसरे विकल्प भी हैं. सरकार को चाहिए कि ऐसे देशों के उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए और देश की सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत करे.
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