Noida Twin Tower Demolition: भ्रष्टाचार की गगनचुंबी इमारत का आज अंत, ट्विन टावर के कौन हैं गुनहगार, बिल्डर का ऐसा था 'खेल'
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ट्विन टावर का बनना एमराल्ड कोर्ट के बायर्स के लिए बड़ा धोखा था, तो अब इसे गिराने की प्रक्रिया भी उनके लिए कम तकलीफदेह नहीं है. गिराने की प्रक्रिया के दौरान घरों को होने वाले संभावित नुकसान से लेकर विस्फोट से उड़ने वाली धूल तक, हर कदम यहां रहने वालों के लिए खौफ के साए में रहने के समान है.
आज दोपहर नोएडा के सेक्टर 93-A स्थित ट्विन टावर को ध्वस्त (Twin Towers Demolition) कर दिया जाएगा. देश में पहली बार इतनी ऊंची बिल्डिंग को जमींदोज किया जाएगा. नियमों को ताक पर रखकर इस गगनचुंबी इमारत का निर्माण किया गया था. इस बिल्डिंग को बनाने वाले सुपरटेक बिल्डर (Supertech) के खिलाफ एमराल्ड कोर्ट के बायर्स ने अपने खर्च पर एक लंबी लड़ाई लड़ी. इसके बाद कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का फैसला सुनाया था.
ट्विन टावर में सैकड़ों लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. इनमें से अभी भी कुछ लोगों को रिफंड नहीं मिला है. गिराने की प्रक्रिया के दौरान घरों को होने वाले संभावित नुकसान से लेकर विस्फोट से उड़ने वाली धूल तक, हर कदम यहां के निवासियों के लिए खौफ के साए में रहने के समान है.
भ्रष्टाचार की गगनचुंबी इमारत की शुरुआत
भ्रष्टाचार की इस गगनचुंबी इमारत के बनने की कहानी की शुरुआत करीब डेढ़ दशक पहले हुई थी. नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था. इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की थी. 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई भी निकल आती थी.
क्या था प्रोजेक्ट का प्लान?
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के मामले में भी प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6.556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया, जिसकी अतिरिक्त लीज डीड 21 जून 2006 को बिल्डर के नाम कर दी गई. लेकिन ये दो प्लॉट्स 2006 में नक्शा पास होने के बाद एक प्लॉट बन गया. इस प्लॉट पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया. इस प्रोजक्ट में ग्राउंड फ्लोर के अलावा 22 मंजिल के 16 टावर्स को बनाने का प्लान था.
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