
Mumbai के पूर्व पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह को मिली बड़ी राहत, जबरन वसूली के मामले में CBI की क्लोजर रिपोर्ट
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ये मामला शुरू में जुलाई 2021 में स्थानीय व्यवसायी शरद अग्रवाल ने मुंबई के पड़ोसी शहर ठाणे के कोपरी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया था. शरद ने दावा किया था कि परम बीर सिंह और अन्य आरोपियों ने कथित तौर पर धमकी दी थी और उसकी जमीन हड़पने के लिए उससे 2 करोड़ रुपये ऐंठ लिए थे.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पर्याप्त सबूतों की कमी का हवाला देते हुए मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह और अन्य के खिलाफ चल रहे जबरन वसूली के मामले को बंद करने की मांग की है. इस सिलसिले में केंद्रीय एजेंसी ने 18 जनवरी को ठाणे के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक क्लोजर रिपोर्ट पेश की है. अदालत फरवरी में इस रिपोर्ट पर विचार कर सकती है.
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मामले के तथ्य और हालात आरोपों की पुष्टि नहीं करते या किसी भी आरोपी व्यक्ति के खिलाफ अभियोजन शुरू करने के लिए किसी भी सबूत का खुलासा नहीं करते हैं. क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2016-2017 के दौरान हुई घटना की रिपोर्ट 2021 में की गई. इस समय तक वह सबूत उपलब्ध नहीं है, जो सच्चाई का पता लगाने में मददगार हो सकता था.
ये मामला शुरू में जुलाई 2021 में स्थानीय व्यवसायी शरद अग्रवाल ने मुंबई के पड़ोसी शहर ठाणे के कोपरी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया था. शरद ने दावा किया था कि परम बीर सिंह और अन्य आरोपियों ने कथित तौर पर धमकी दी थी और उसकी जमीन हड़पने के लिए उससे 2 करोड़ रुपये ऐंठ लिए थे. आरोपियों में सिंह के अलावा एक पूर्व पुलिस उपायुक्त और कुछ रियल एस्टेट डेवलपर्स शामिल हैं.
बाद में यह केस सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया. सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा कि उसने शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों का सत्यापन किया है और नोट किया है कि इसमें पुष्टि करने वाले सबूतों का अभाव है. रिपोर्ट में शिकायतकर्ता के दावों का समर्थन करने के लिए कोई भी स्वतंत्र सबूत नहीं मिला. इसी बात पर रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है.
पीटीआई के मुताबिक, सीबीआई ने कहा कि अग्रवाल ने बिना किसी दबाव या डर के स्वेच्छा से अपनी जमीन देने का समझौता किया था. ऐसे में शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की किसी भी स्वतंत्र साक्ष्य से पुष्टि नहीं होती है. घटना की तारीख से लगभग पांच साल बीत जाने के बाद शिकायत दर्ज की गई थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि शिकायतकर्ता अपने दावों को साबित करने के लिए कोई विवरण नहीं दे सका. जबरन वसूली का मामला 2021 में महाराष्ट्र में सिंह के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर में से एक है, जब उन्होंने राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.

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