Mahabharat : अर्जुन को तपस्या करने पर दिव्यास्त्र के संग मिला था नपुंसकता का श्राप, जानिए किस्सा
ABP News
व्यास की सलाह पर दिव्यास्त्रों की प्राप्ति के लिए अर्जुन ने तप किया. इंद्र दिव्यास्त्र देने धरती पर आए, लेकिन यहां उर्वशी अर्जुन पर मोहित हो गईं.
Mahabharat : महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य, भीष्म सरीखे योद्धाओं से युद्ध करने के लिए पांडवों को अतिरिक्त शक्तियों की जरूरत थी. जिन्हें कठिन तप कर देवताओं से हासिल किया जा सकता था. वेदव्यास के सुझाव पर अर्जुन को इसके लिए तप करने को चुना गया. अर्जुन के कठिन तप से प्रसन्न होकर यम, कुबेर, वरुण, गंधर्व और इंद्र अपने वाहनों पर सवार होकर अर्जुन के पास पहुंचे. सभी ने अपने-अपने दिव्यास्त्र अर्जुन को दिए. देवराज इंद्र के कहने पर अर्जुन ने गंधर्व चित्रसेन से नृत्य की भी शिक्षा ली. इसी दौरान इंद्र की अप्सरा उर्वशी ने अर्जुन को देखा तो वह मोहित हो गईं. मौका पाकर उन्होंने अर्जुन के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया. मगर अर्जुन ने इसे विनम्रता से ठुकराते हुए कहा है कि देवी आप कुरुवंश की जननी और मेरी मां समान हो. मैं आपसे विवाह नहीं कर सकता. इस पर क्रोधित उर्वशी ने अर्जुन को नपुंसक हो जाने का श्राप दे डाला. इस पर देवराज इंद्र ने हस्तक्षेप किया तो उर्वशी को अपनी गलती का अहसास हुआ.More Related News