ITC History: कहानी कंपनी की: 110 साल पुराना ITC का इतिहास, बनाती हैं आपके लिए ये चीजें
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कंपनी की स्थापना 24 अगस्त 1910 को हुई थी. तब इसका नाम इंपीरियल टोबैको कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Imperial Tobacco Company Of India Limited) था. बाद में इस कंपनी में धीरे-धीरे भारतीय हिस्सेदारी बढ़ती चली गई. हिस्सेदारी में आए बदलाव के चलते पहली बार 1970 में इसका नाम बदला गया. तब इस कंपनी का नाम बदलकर इंडिया टोबैको कंपनी लिमिटेड (India Tobacco Company Ltd) किया गया.
सिगरेट (Cigarette) से लेकर अगरबत्ती (Agarbatti) तक बनाने वाली कंपनी आईटीसी लिमिटेड (ITC Limited) का नाम आज कौन नहीं जानता है. शेयर बाजार (Share Market) में बोनस (Bonus) और डिविडेंड (Dividend) के लिए मशहूर इस कंपनी के प्रॉडक्ट आज भारत के घर-घर में इस्तेमाल होते हैं. कंपनी अभी कई लग्जरी होटल (Luxury Hotel) चलाने के अलावा पैकेजिंग (Packaging), एफएमसीजी (FMCG), फैशन (Fashion), रिटेल (Retail) जैसे कई सेक्टर्स में दमदार मौजूदगी रखती है. यहां तक कि इस कंपनी में खुद भारत सरकार की अच्छी-खासी हिस्सेदारी है. विशाल कारोबारी साम्राज्य चलाने वाली इस कंपनी की शुरुआत की कहानी कम रोचक नहीं है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस मशहूर कंपनी की शुरुआत कैसे हुई और कैसे इसने भारत के घर-घर तक पहुंच बना ली.
इन मौकों पर बदला आईटीसी का नाम
कंपनी की स्थापना 24 अगस्त 1910 को हुई थी. तब इसका नाम इंपीरियल टोबैको कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Imperial Tobacco Company Of India Limited) था. बाद में इस कंपनी में धीरे-धीरे भारतीय हिस्सेदारी बढ़ती चली गई. हिस्सेदारी में आए बदलाव के चलते पहली बार 1970 में इसका नाम बदला गया. तब इस कंपनी का नाम बदलकर इंडिया टोबैको कंपनी लिमिटेड (India Tobacco Company Ltd) किया गया. चूंकि साल दर साल कंपनी का बिजनेस पोर्टफोलियो बढ़ रहा था और यह मूल कारोबार सिगरेट के दायरे से बाहर निकल चुकी थी, एक बार फिर नाम बदलने की जरूरत महसूस हुई. दूसरी बार 1974 में इसका नाम बदलकर I.T.C. Limited किया गया. साल 2001 में एक बार फिर नाम में बदलाव हुआ और फुल स्टॉप्स को हटाकर सीधे ITC Limited कर दिया गया. कंपनी अब इसी नाम से जानी और पहचानी जाती है.
बेहद साधारण है आईटीसी की शुरुआत
110 साल से ज्यादा पुरानी इस कंपनी की शुरुआत साधारण तरीके से हुई थी. इसका पहला ऑफिस कोलकाता के राधा बाजार (Radha Bazaar) में खुला था, जो किराये की जगह पर था. कंपनी को अपने पहले ऑफिस के लिए जमीन खरीदने में 16 साल लगे. कंपनी के 16 साल पूरे होने के मौके पर 24 अगस्त 1926 को 37, चौरंगी (अभी जवाहर लाल नेहरू रोड) पर जमीन खरीदी गई. तब कंपनी ने उस प्लॉट को खरीदने में 3.10 लाख रुपये खर्च किए थे. दो साल बाद वहां आईटीसी का पहला ऑफिस बनकर तैयार हुआ, जो कोलकाता शहर में जाना-माना लैंडमार्क बन गया.
सिगरेट के बाद इस सेक्टर में दमदार उपस्थिति
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जेपी इंफ्राटेके के दिवालिया होने के कारण इसके शेयरों की ट्रेडिंग बंद कर दी गई थी. इसका अंतिम शेयर प्राइस 1.27 रुपये था. सुरक्षा समूह ने पिछले महीने अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी से मंजूरी के बाद जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL) का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया था.
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