Happy Birthday Mahendra Singh Dhoni: धोनी के लिए BCCI को तोड़ना पड़ा था ये 'रूल', 23 की उम्र में PAK के खिलाफ मचाई धूम
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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज अपना 42वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं. धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को तीन आईसीसी खिताब जिताया था. धोनी को 23 साल की उम्र में टीम इंडिया में बुलावे की खबर मिली थी. इस मौके को भुनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी.
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज (7 जुलाई) 42 साल के हो गए. धोनी क्रिकेट इतिहास के सफलतम कप्तानों में से एक हैं और उनकी कप्तानी में भारत ने तीन आईसीसी खिताब जीता. धोनी ने अपने खेल से दुनिया भर के करोड़ों क्रिकेट प्रशंसकों के दिलों में खास जगह बनाई है.
एमएस धोनी झारखंड के पहले इंटरनेशनल क्रिकेटर रहे और उन्हें 23 साल की उम्र में टीम इंडिया में बुलावे की खबर मिली. इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने मौका नहीं गंवाया और मैदान पर धूम मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. 5 अप्रैल 2005 को धोनी ने अपने 5वें वनडे में पाकिस्तान के खिलाफ 148 रन बनाए थे. बाद में उन्होंने अपने 5वें टेस्ट में भी 148 रनों की शानदार पारी खेली थी. माही का ये टेस्ट शतक भी फैसलाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ आया था.
इन दो शुरुआती धुआंधार शतकों से इस करामाती क्रिकेटर ने इतनी सुर्खियों बटोरीं कि वह आगे चलकर टीम इंडिया का 'भविष्य' बन गए. महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) के प्रतिभा अनुसंधान विकास विभाग (TRDW) की खोज थे. उनकी प्रतिभा को देखते हुए इस प्रोगाम से जुड़े आयु संबंधी नियम में ढील देनी पड़ी थी. इस पर चर्चा करने से पहले आइए धोनी के अंतरराष्ट्रीय करियर पर नजर डालें.
माही की कप्तानी में भारत ने हासिल किए कई कीर्तिमान
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखते ही धोनी की तुलना ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज एडम गिलक्रिस्ट से की जाने लगी. साथ ही अंतिम ओवर तक जीत का पीछा करने में माहिर माही में फिनिशर के तौर पर माइकल बेवन की झलक मिली. तीन साल के अंदर धोनी को वनडे और टी-20 का कप्तान नियुक्त कर दिया गया. उनकी कप्तानी में 2007 में भारत ने टी-20 वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया और अगले साल ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज का फाइनल जीता.
इसके बाद धोनी ने 2008 में टेस्ट कप्तानी संभाली और ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड पर यादगार सीरीज जीत दर्ज की दिसंबर 2009 में भारत टेस्ट क्रिकेट में नंबर-1 बन गया. लेकिन उनकी कप्तानी में 2011 और 2012 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की धरती पर भारत को लगातार 8 हार मिली और इन शर्मनाक पराजयों से भारत ने शीर्ष रैंकिंग गंवा दी.