
Exclusive: 'ये जंग इजरायल और हमास के बीच नहीं, बल्कि...' हिज्बुल्ला और हमास पर बोले भारत में लेबनानी राजदूत
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इजरायल हमास युद्ध पर लेबनान की प्रतिक्रिया पूछे जाने पर रबी नर्श ने कहा, वे अत्याचारी, कब्जा करने वाले लोग हैं. वहां एक रंगभेदी शासन है, जो फिलिस्तीनियों को मार रहा है और उन पर विनाशकारी प्रभाव डाल रहा है. यही स्थिति है. उन्होंने कहा, निसंदेह लेबनान दांव पर है.
इजरायल और हमास के बीच पिछले 20 दिन से भीषण युद्ध जारी है. इस युद्ध में लेबनान का संगठन हिज्बुल्ला भी कूद गया है. हिज्बुल्ला के रॉकेटों के जवाब में इजरायल भी लेबनान में बमबारी कर रहा है. इसी बीच भारत में लेबनान के राजदूत रबी नर्श ने आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि इजरायल और फिलिस्तीन या इजरायल और हमास के बीच युद्ध नहीं है, बल्कि ये इजरायल का फिलिस्तीन पर युद्ध है. ये दशकों से चला रहा है. यह 75 साल से अधिक समय से चला आ रहा है. खासकर 1967 के युद्ध के बाद से. इजरायल हमास युद्ध पर लेबनान की प्रतिक्रिया पूछे जाने पर रबी नर्श ने कहा, वे अत्याचारी, कब्जा करने वाले लोग हैं. वहां एक रंगभेदी शासन है, जो फिलिस्तीनियों को मार रहा है और उन पर विनाशकारी प्रभाव डाल रहा है. यही स्थिति है. उन्होंने कहा, निसंदेह लेबनान दांव पर है. हम चिंतित हैं और लेबनान में स्थिति तनावपूर्ण है क्योंकि हमने इजरायली आक्रामकता का अनुभव किया है और हम जानते हैं कि इजरायल एक वास्तविक खतरा है.
लेबनान के राजदूत ने कहा, उन्होंने विनाश किया और उन्होंने लेबनान पर कई बार हमला किया और निर्दोष नागरिकों को बहुत नुकसान पहुंचाया. अभी लेबनान में स्थिति अस्थिर है. हम इस तनाव को कम करने की अपील करते हैं और हम शांतिपूर्ण समाधान की अपील कर रहे हैं.
सवाल- क्या 7 अक्टूबर के बाद चीजें बदल गई हैं? बंधक संकट है. बच्चों को बंधक बना लिया गया. तो क्या 7 अक्टूबर के हमले ने फिलिस्तीनी को देखने का दुनिया का नजरिया बदल दिया है?
इस पर रबी नर्श ने कहा, जैसा कि मैंने कहा यह स्थिति 7 अक्टूबर को शुरू नहीं हुई. यह स्थिति फिलिस्तीनी भूमि पर इजरायल के कब्जे के बाद से शुरू हुई और हमास ने या किसी फिलिस्तीनी समूह ने कब्जा करने वाले के खिलाफ जो किया, उसका अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा सम्मान किया जाता है. जहां भी कब्जा होता है, वहां प्रतिरोध होता है और अंतरराष्ट्रीय कानून कब्जे वाले लोगों को अपनी आजादी के लिए लड़ने, अपनी जमीन के लिए लड़ने, अपने देश के लिए लड़ने की गारंटी देता है.
उन्होंने कहा, इस तथ्य को देखते हुए कि इजरायल ने चार दशकों तक फिलिस्तीनियों को हर चीज से वंचित रखा, यहां तक कि बुनियादी और मानवाधिकारों से. तो अपनी जमीन पाने के लिए कब्जे वाले के खिलाफ विद्रोह के अलावा और क्या उम्मीद की जा सकती है? 75 सालों से वे अपने स्वयं के राज्य के लिए शांतिपूर्ण समाधान की मांग कर रहे हैं. 2002 के बाद से, सभी अरब राष्ट्र, बेरूत में मिले और 'बेरूत शांतिपूर्ण पहल' हुई. उन सभी ने ऐतिहासिक पहल की, जहां पूरे अरब देश केवल फिलिस्तीन राज्य और फिलिस्तीनियों को अपनी भूमि पर लौटने के अधिकार के बदले में इजरायल को मान्यता देने के लिए तैयार थे. और इजराइल ने इस समाधान से इनकार कर दिया.
लेबनान के राजदूत ने कहा, पूरी दुनिया में इकलौता देश जो इस समाधान से इनकार करता है वो है इजराइल. हम इजरायल को किसी भी शांतिपूर्ण समाधान के विरुद्ध एकमात्र बाधा के रूप में देखते हैं. सवाल- क्या हमास के हमले और बच्चों को बंधक बनाये जाने की निंदा करेंगे?

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