
Crime Katha: बिहार का वो सनसनीखेज अपहरण कांड, जो 13 साल बाद भी है अनसुलझा रहस्य
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बिहार के मुजफ्फरपुर में 2012 का नवरुणा चक्रवर्ती अपहरण कांड आज भी अनसुलझा है. लैंड माफिया के शक में सीबीआई जांच हुई, लेकिन कोई दोषी नहीं पकड़ा गया. 12 साल की मासूम की हत्या ने बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे. पढ़ें पूरी कहानी.
Crime Katha of Bihar: बिहार में अपराध का इतिहास 1947 से ही हिंसक रहा है, लेकिन 1990 से 2005 के बीच का वक्त सबसे भयावह साबित हुआ. उस वक्त सूबे में अपहरण एक संगठित उद्योग बन गया था. डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी और प्रतिष्ठित लोग बदमाशों के निशाने पर थे. अकेले साल 2004 में ही फिरौती के लिए 411 अपहरण के मामले दर्ज हुए थे, जबकि उसी दौर में कुल 32085 ऐसी घटनाएं अंजाम दी गई थीं. यह दौर बिहार की कानून-व्यवस्था पर एक दाग की तरह था. अपहरणकर्ता लैंड माफिया, राजनेता और अपराधी गिरोहों से जुड़े होते थे. फिरौती की रकम करोड़ों में होती थी. असफलता पर हत्या आम बात थी. 'बिहार की क्राइम कथा' में पेश है बिहार के सबसे चर्चित अपहरण कांड की पूरी कहानी.
कौन थी नवरुणा चक्रवर्ती? महज 12 साल की मासूम नवरुणा चक्रवर्ती मुजफ्फरपुर के एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार से ताल्लुक रखती थी. वह सेंट जेवियर्स स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा थी. वो पढ़ाई में तेज थी और खेलकूद में आगे. उसके पिता अतुल्य चक्रवर्ती फार्मास्यूटिकल व्यवसायी थे, जबकि मां मैत्री गृहिणी थी. परिवार का पैतृक घर 1876 में बनाया गया दो मंजिला भवन था, जो जॉन्फर लाल रोड पर चक्रवर्ती लेन में स्थित था. यह इलाका शहर का पुराना हिस्सा था, जहां संकरी गलियां और पुरानी इमारतें आम बात थीं. नवरुणा का बचपन किताबों, दोस्तों और पारिवारिक लाड़ प्यार से भरा था.
17-18 सितंबर 2012, मध्यरात्रि उस रात मुजफ्फरपुर के चक्रवर्ती निवास में सन्नाटा पसरा था. नवरुणा अपनी कमरे में सो रही थी. तभी अज्ञात अपहरणकर्ताओं ने खिड़की की जाली को तोड़ दिया और कमरे में दाखिल हो गए. वे सोती हुई नवरुणा को अगवा कर साथ ले गए. घरवालों को भनक तक नहीं लगी. सुबह जब परिवार जागा तो बेटी गायब थी. उसका कमरा अस्त-व्यस्त था. अतुल्य चक्रवर्ती ने तुरंत मुजफ्फरपुर थाने में शिकायत दी. एफआईआर दर्ज कराई. उन्होंने इसके पीछे लैंड माफिया पर शक जताया. लेकिन शुरुआत में कोई सुराग नहीं मिला. अपहरणकर्ताओं ने कोई फिरौती नहीं मांगी. इसी वजह से मामला और भी रहस्यमयी हो गया. पूरा शहर सदमे में था.
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पुलिस जांच और परिवार का दर्द अपहरण का मामला दर्ज करने के बाद फौरन मुजफ्फरपुर पुलिस हरकत में आ गई. जगह जगह छापेमारी शुरू हो चुकी थी. लेकिन कोई सुराग न मिला. परिवार ने सोशल मीडिया पर 'सेव नवरुणा' कैंपेन चलाया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए. अतुल्य और मैत्री ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पत्र लिखे. पुलिस ने कई संदिग्धों को हिरासत में लिया, लेकिन वो सब बरी हो गए. इसके बाद एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया, पर सबूतों के अभाव में वो भी रिहा हो गए. परिवार का दर्द बढ़ता जा रहा था. वे रात-दिन बेटी की तस्वीरें देखते और रोते रहते. बिहार की 'सुशासन' सरकार पर सवाल उठने लगे थे. जांच की धीमी गति ने परिवार को हताश कर दिया था. फिरौती न मांगना मामले को हत्या की ओर ले जा रहा था.
26 नवंबर 2012 चक्रवर्ती निवास के पास ही एक नाली थी. उसी नाली से एक स्केलेटन बरामद हुआ, जिसे पुलिस ने नवरुणा का बताया. कपड़े और अंडरगारमेंट्स भी मिले, लेकिन परिवार ने इंकार कर दिया. अतुल्य ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सबूतों से छेड़छाड़ की. डीएनए टेस्ट के लिए परिवार ने खून के सैंपल देने से इनकार कर दिया, क्योंकि हड्डियां नवरुणा की नहीं लग रही थीं. इस ड्रामे ने जांच को और जटिल बना दिया था. पुलिस ने 32 सबूतों का फोरेंसिक टेस्ट कराया, लेकिन रिपोर्ट में विसंगतियां थीं. लैंड माफिया पर शक गहरा गया, क्योंकि परिवार की जमीन बेचने की डील चल रही थी.

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