Ahmedabad Blast: 'दोषियों को समाज में रहने देना आदमखोर तेंदुए को खुला छोड़ने जैसा', जजमेंट में कोर्ट की टिप्पणी
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अहमदाबाद ब्लास्ट केस 2008 मामले में विशेष अदालत ने 49 में से 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई है.इसके अलावा अदालत ने 11 अन्य दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है.
गुजरात के अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए 18 सिलसिलेवार बम धमाकों (Ahmedabad serial blasts) पर विशेष अदालत ने कहा है कि 38 दोषी मौत की सजा के लायक हैं क्योंकि ऐसे लोगों का समाज में रहना 'आदमखोर तेंदुए' को खुला छोड़ने के समान है जो कि बिना इसकी परवाह किए बिना निर्दोष लोगों को मारता है. वो ये नहीं सोचता है कि वह बच्चे हैं, युवा हैं, बुजुर्ग हैं या किस जाति या समुदाय के हैं.
नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
देश के ज्यादातर मैदानी इलाकों में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लिया है. LG ने निर्देश दिया है कि इस भीषण गर्मी में मजदूरों को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक काम से छुट्टी मिलेगी. साथ ही मजदूरों को मिलने वाली इस राहत के बदले कोई भी उनकी सैलरी नहीं काट सकेगा.
करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.