7 दल, आरजेडी का बड़ा रोल... 2015 से इस बार कितनी अलग है नीतीश की महागठबंधन सरकार?
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Bihar Nitish Kumar cabinet formula: बिहार की सियासत में एक बार फिर से उलटफेर हो गया है. नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर महागठबंधन के साथ फिर सरकार बनाने जा रहे हैं. नीतीश कुमार बुधवार दोपहर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, लेकिन इस बार का सत्ता का फॉर्मूला 2015 से काफी अलग है. सत्ता की कमान भले ही आरजेडी ने नीतीश को दे दी हो, लेकिन कैबिनेट में हिस्सेदारी ज्यादा ली है. इतना ही नहीं इस बार सहयोगी दलों की संख्या भी काफी ज्यादा है?
बिहार की सियासत में एक बार फिर नीतीश कुमार आरजेडी, कांग्रेस सहित छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं. नीतीश कुमार बुधवार दोपहर दो बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे जबकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बनेंगे. इसी के साथ सूबे में नीतीश की अगुवाई में बन रही महागठबंधन सरकार की तस्वीर साफ हो गई है, लेकिन 2015 से ये सरकार काफी अलग होगी. आरजेडी की भूमिका सरकार में पिछली बार से ज्यादा अहम रहने वाली है तो सत्ता में भागीदारी भी इस बार बढ़ गई है.
नीतीश कुमार ने मंगलवार को राज्यपाल को 164 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा है. इसके बाद नीतीश ने कहा कि हम 7 पार्टियां मिलकर महागठबंधन में आगे काम करेंगे. नीतीश की अगुवाई में बनने वाली महागठबंधन की नई सरकार में जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई (ML),सीपीएम, सीपीआई और जीतनराम मांझी की पार्टी HAM शामिल हैं. इसके अलावा एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है. इस तरह नीतीश कुमार को भले ही सात पार्टियों का समर्थन है, लेकिन सरकार में सभी हिस्सेदारी नहीं ले रही हैं.
आरजेडी के सबसे ज्यादा मंत्री बनेंगे
लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच सत्ता शेयरिंग का जो फॉर्मूला तय हुआ है. जेडीयू की कम सीट होने के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो बने रहेंगे लेकिन, आरजेडी के पास मंत्रालय की 'रेवड़ी' आ रही है. आरजेडी के हिस्से में सबसे ज्यादा 16 मंत्री बनेंगे. इसके बाद जेडीयू के 13, कांग्रेस के 4, HAM के 1 के विधायक नई सरकार में मंत्री बनेंगे. वहीं लेफ्ट पार्टी सरकार को बाहर से स्पोर्ट कर रही हैं. इस तरह नीतीश कुमार की अगुवाई में बनने वाली महागठबंधन में चार दलों की हिस्सेदारी होंगी और कैबिनेट में 34 मंत्री होंगे.
बता दें कि साल 2015 में नीतीश कुमार के अगुवाई में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस की महागठबंधन सरकार बनी थी. उस समय तीनों ही दल मिलकर चुनाव लड़े थे और सरकार में तीनों दल ही भागीदार थे. साल 2015 में नीतीश कैबिनेट में कुल 28 मंत्री बने थे, जिसमें आरजेडी के 12, जेडीयू के 12 और कांग्रेस के चार विधायक मंत्री के तौर पर शामिल थे. विधानसभा अध्यक्ष का पद नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के खाते में गया था.
हालांकि, उस समय भी जेडीयू से ज्यादा आरजेडी के विधायकों की संख्या थी, लेकिन दोनों ही दलों के बीच अंतर ज्यादा नहीं था. आरजेडी के 80 और जेडीयू के 71 विधायक थे. इसके बावजूद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव डिप्टीसीएम बने थे और दोनों ही दलों के बीच मंत्री पद का बंटवारा बराबर हुआ था. कांग्रेस के 27 विधायक थे और उसे कैबिनेट में चार मंत्री पद मिले थे.
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