
6 एकड़ का सेट, 500 लोग... 20 दिन और बन गया 'धुरंधर' का ल्यारी, पाकिस्तान के बाहर बसी अलग दुनिया
AajTak
धुरंधर फिल्म के लिए कैसे बैंकॉक में 6 एकड़ का ल्यारी सेट सिर्फ 20 दिनों में बनाया गया? जानिए रणवीर सिंह की ब्लॉकबस्टर फिल्म के पीछे की पूरी कहानी, शूटिंग लोकेशन, एक्शन सेट और मेकिंग डिटेल्स.
बड़ी एक्शन फिल्मों में एक विश्वास करने लायक दुनिया बनाना सबसे मुश्किल काम होता है. लेकिन 'धुरंधर' ने इस चैलेंज को पूरी ताकत से लिया. पाकिस्तान के कराची के सबसे जटिल और घनी आबादी वाले इलाके ल्यारी को बिल्कुल असली जैसा दिखाने के लिए मेकर्स ने बैंकॉक में सिर्फ 20 दिनों में 6 एकड़ का भव्य सेट बनाया. इसमें रोजाना लगभग 500 वर्कर्स काम करते थे. इस बड़े सेट का डिजाइन प्रोडक्शन डिजाइनर सैनी एस जोहर ने किया, जिन्होंने हाल ही में इस प्रोजेक्ट के स्केल और लॉजिस्टिक्स के बारे में बात की.
पाकिस्तान के बाहर ल्यारी बनाई गई
'धुरंधर' की शूटिंग बैंकॉक, मुंबई और चंडीगढ़ में हुई. लेकिन ल्यारी के ज्यादातर सीन थाईलैंड में फिल्माए गए. हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया को दिए इंटरव्यू में जोहर ने बताया कि टीम ने कई देशों में लोकेशन रेकी के बाद बैंकॉक चुना.
वो बोले- हमें 20 दिनों में 6 एकड़ का सेट बनाना था, वो भी ऐसे देश में जहां मैं भारत से ज्यादा लोगों को नहीं ले जा सकते. 500 लोगों को उड़ाकर सेट नहीं बना सकते. इसलिए वहां के आर्टिस्ट्स के साथ कोलैबोरेट किया. ये फैसला क्रिएटिव फ्रीडम और लॉजिस्टिक्स की वजह से लिया गया, ताकि स्पेस या शेड्यूल की दिक्कत न हो.
500 वर्कर्स, दिन-रात काम
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जबरदस्त को-ऑर्डिनेशन और 24 घंटे काम जरूरी था. जोहर ने बताया कि ज्यादातर मैनपावर लोकल था, साथ में छोटी इंडियन कोर टीम. जोहर बोले- थाई मैनपावर 300-400 लोगों का था, कुल मिलाकर 500 लोगों ने दिन-रात 20 दिनों तक काम करके 6 एकड़ का सेट बना दिया. नतीजा था ल्यारी की तंग गलियां, ऊंची इमारतें और गंदी बनावट का हू-ब-हू रीक्रिएशन, जो फिल्म के हाई-स्टेक्स एक्शन और स्पाई सीक्वेंस के लिए परफेक्ट था.

अर्चना पूरन सिंह और परमीत सेठी श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने गौसेवा की, सात्विक भोजन किया और सोमनाथ मंदिर के अवशेषों के दर्शन किए. व्लॉग में अर्चना के बेटे आयुष्मान ने अपना पहला एक्टिंग प्रोजेक्ट मिलने की खुशी जाहिर की, जबकि गुरुजी ने उनके बेटों को फोकस और किरदार में घुसने जैसे एक्टिंग के खास गुर सिखाए.












