
53 साल की तानाशाही, 11 दिन में सरेंडर... आखिर असद के पौने तीन लाख सैनिक कहां भाग खड़े हुए?
AajTak
विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) की अगुवाई में विद्रोहियों ने 27 नवंबर को बशर अल असद सरकार के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया. इस दिन विद्रोहियों ने पहला हमला किया.
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का एकछत्र राज खत्म हो गया है. देश के बड़े हिस्से पर विद्रोहियों के कब्जे के बाद परिवार समेत भाग खड़े हुए असद ने मित्र राष्ट्र रूस में शरण ले ली है. इसके साथ ही 2011 से देश में चली आ रही गृहयुद्ध की स्थिति खत्म हो गई. लेकिन सवाल है कि सीरिया की 53 साल की तानाशाही का अंत मात्र दो हफ्ते के भीतर कैसे हो गया? दशकों से असद का किला बचा रही सीरियाई सेना कमजोर कहां पड़ गई?
1973 में बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद ने सीरिया में तख्तापलट कर सत्ता संभाली थी. उन्होंने एक तानाशाह की तरह सीरिया पर राज किया. उनके शासनकाल में सीरिया में विद्रोह की चिंगारी भी उठी और कत्लेआम भी हुआ. शिया अल्पसंख्यक समुदाय से होने की वजह से उन पर बहुसंख्यक सुन्नियों की अनदेखी करने के आरोप लगे. 2000 में उनके इंतकाल के बाद बशर अल असद गद्दी पर बैठे.
मॉडर्न सीरिया और विकास के एजेंडे के साथ सत्ता संभालने वाले बशर जल्द ही उसी राह पर आगे बढ़ने लगे. जिस राह पर उनके पिता हाफिज चले थे. नतीजा हुआ कि सीरिया की जनता में असंतोष बढ़ने लगा. असंतोष की चिंगारी को 2011 में ट्यूनिशिया की घटना ने हवा दी. यह वह समय था, जब एक-एक कर अरब देशों में विद्रोह होने लगा था. रूस और ईरान के दम पर असद इस विद्रोह को कुचलते रहे.
लेकिन 27 नवंबर को जो हुआ, उसका अंदाजा बशर को भी नहीं था. 27 नवंबर को हयात तहरीर अल-शाम (HTS) की अगुवाई में विद्रोहियों ने बशर अल असद सरकार के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया. इस दिन विद्रोहियों ने पहला हमला किया.
इन्होंने पश्चिमी अलेप्पो में असद की सेना पर जबरदस्त हमला किया. उत्तरपश्चिम सीरिया पर कब्जा करते हुए इन्होंने मात्र दो हफ्ते के भीतर राजधानी दमिश्क को अपने कब्जे में ले लिया. इस दौरान दोनों ओर से कुल 37 लोगों की मौत हुई. विद्रोहियों ने 13 गांवों पर कब्जा कर लिया जिनमें अलेप्पो में सीरियाई सेना का सबसे बड़ा बेस भी शामिल है.
30 नवंबर को अलेप्पो पर पूरा कब्जा

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खास बातचीत में आतंकवाद विषय पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए. इस बातचीत में पुतिन ने साफ कहा कि आतंकवादियों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदि आजादी के लिए लड़ना है तो वह कानून के दायरे में होना चाहिए. पुतिन ने ये भी बताया कि आतंकवाद से लड़ाई में रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.







