
38 साल बाद बोफोर्स तोप सौदों की जांच में कितनी आंच, सरकार क्या हासिल कर सकती है?
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बोफोर्स अब कोई मुद्दा नहीं है. जनता को पता है कि हथियारों की खरीद में बिचौलिये पैसे लेते हैं. और बिना बिचौलियों के जरिए आज एक फ्लैट भी नहीं खरीदा जा सकता. पब्लिक की नजर में अब दलाली कोई मुद्दा नहीं रह गया है. न राजीव गांधी रहे न विश्वनाथ प्रताप सिंह और न क्वात्रोची, अब इस जांच सरकार क्या हासिल करेगी देखना होगा?
बोफोर्स तोप सौदों की गूंज से भारत के राजनीतिक गलियारों में फिर से कान सुन्न पड़ने वाले हैं. यह वही बोफोर्स तोप हैं जिसकी दलाली खाने का आरोप के चलते राजीव गांधी को 1989 में अपनी सरकार को खोना पड़ गया था. इसका भूत एक बार फिर जाग गया है यूं कहें कि जगा दिया गया है. सीबीआई ने अमेरिका से लीगल रिक्वेस्ट किया है कि प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर माइकल हर्शमैन से 1980 के दशक के 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स रिश्वत कांड से जुड़ी अहम जानकारी दी जाए.
CBI ने एक लेटर रोगेटरी (Letter Rogatory - LR) भेजा है, जो एक आधिकारिक अनुरोध होता है. इसमें एक देश की अदालत दूसरे देश की अदालत से आपराधिक जांच या मुकदमे के लिए सहायता मांगती है. बताया जा रहा है कि इस LR को भेजने की प्रक्रिया 14 अक्टूबर 2024 को शुरू हुई थी, और अदालत से मंजूरी मिलने के बाद फरवरी 2025 में इसे भेजा गया. CBI ने इस मामले की आगे की जांच के लिए विशेष अदालत को हालिया घटनाक्रम की जानकारी दी है. सवाल उठता है कि अचानक बोफोर्स तोपों का बंद हो चुका मामला एक बार फिर क्यों उठने वाला है.
क्या अडानी-सरकार के संबंधों पर लगाए जा रहे आरोपों का जवाब है
दरअसल राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दुनिया के सबसे बड़े अमीरों में शुमार हो चुके गौतम अडानी के बीच संबंधों के बारे में अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं. देश विदेश का कोई मंच नहीं होगा जहां राहुल गांधी अडानी का नाम नहीं लेते हों. कई बार राहुल गांधी के आरोप बहुत डेरोगेटरी भी हो जाते हैं. हो सकता है कि इस अपमानजनक स्थिति से बचने के लिए सरकार ने बोफोर्स के मुद्दे को फिर जीवित करने का फैसला किया हो.
CBI ने 22 जनवरी 1990 को इस मामले में पहली FIR दर्ज की थी. FIR में बोफोर्स कंपनी के तत्कालीन अध्यक्ष मार्टिन अर्डबो, कथित बिचौलिए विन चड्ढा और हिंदुजा बंधुओं पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप लगाए गए. हिंदुजा बंधुओं का नाम अस्सी के दशक में उसी तरह लिया जाता था जिस तरह आज अडानी और अंबानी का लिया जाता है. जाहिर है कि हिंदुजा बंधुओं के बहाने बीजेपी सरकार यह बताने की कोशिश करेगी जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते.
इतालवी कनेक्शन से गांधी परिवार को घेरने की कोशिश

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