21 विरोध में, 16 सपोर्ट में... संसद भवन उद्घाटन पर कौन सा दल किसके साथ, समर्थकों-विरोधियों की सदन में कितनी ताकत?
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नई संसद करीब ढाई साल में बनकर तैयार हो गई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था, अब 28 मई को वह उद्घाटन भी करेंगे. इसी बात को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है. विपक्षी दलों का कहना है कि संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से न कराना राष्ट्रपति पद का अपमान है. वहीं बीजेपी का कहना है कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी संसद भवन की इमारतों का उद्घाटन कर सकते हैं तो पीएम क्यों नहीं कर सकते.
देश में नई संसद बिल्डिंग का 28 मई को उद्घाटन होना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे. पीएम ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. इस कार्य के लिए राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त 2019 को आग्रह किया था. इसकी लागत 861 करोड़ रुपये मानी गई थी लेकिन बाद में इसके निर्माण की कीमत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. बीजेपी नई संसद बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह को देश के लिए गौरव का पल मानते हुए जश्न मना रही है. उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर 15 दल बीजेपी के समर्थन में आ गए हैं. वहीं कांग्रेस ने मोदी से नई संसद के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है. 20 अन्य विपक्षी दलों ने भी उसका साथ दिया है. उनका कहना है कि यह लोकतंत्रिक तरीका नहीं है. बीजेपी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न कराकर उनके पद का अपमान कर रही है. इस पूरे मामले ने अब राजनीतिक रंग दे दिया है. देश के राजनीतिक दलों में इस मुद्दे को लेकर दो फाड़ हो गया. मसला एनडीए vs यूपीए तो है ही लेकिन कुछ विपक्षी दल भी बीजेपी के साथ जा खड़े हुए हैं. आइए जानते हैं कि कौन से दल किसके साथ खड़े हैं और विपक्षी दलों का बीजेपी को समर्थन देने के पीछे क्या वजह हो सकती है?
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 18 मई को पीएम नरेंद्र मोदी को नए भवन का उद्घाटन करने के लिए निमंत्रण दिया. इस पर विपक्षी दलों ने विरोध कर दिया. उनका कहना है कि यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न कराना, उनके पद का अपमान है.
- कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया- राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना - यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है. संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है. - गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि स्पीकर संसद के संरक्षक होते हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है. नई संसद के उद्घाटन समारोह का साक्षी बनने के लिए सरकार ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित किया है. लोग अपनी-अपनी सोचने की क्षमता के हिसाब से रीएक्ट करते हैं. हमें इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
21 विपक्षी दलों ने बायकॉट का ऐलान किया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.
नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम का जिन राजनीतिक दलों ने बहिष्कार किया है, अगर संसद में इनकी सीटों का गणित देखा जाए तो लोकसभा में उनकी कुल ताकत 147 और राज्यसभा में 96 है. यानी मौजूदा समय में विपक्षी दलों के पास लोकसभा का 26.97% और राज्यसभा का 40.33% समर्थन पक्ष के साथ है.
नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर कुल 16 दल साथ आ गए हैं. इन दलों में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल - सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आजसू (झारखंड), मिजो नेशनल फ्रंट, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजद और शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं.
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