
'हिन्दू-बौद्ध भी हो रहे धार्मिक फोबिया के शिकार', UN में इंडिया की खरी-खरी, इस्लामोफोबिया पर PAK के प्रस्ताव से दूर रहा भारत
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यूनाइटेड नेशन में 'इस्लामोफोबिया' पर चर्चा के दौरान भारत ने स्पष्ट किया कि सिर्फ इब्राहिम ही नहीं बल्कि गैर-इब्राहिम धर्म भी फोबिया का शिकार हैं, जिसे हमें स्वीकार करने की जरूरत है. पाकिस्तान ने यह प्रस्ताव पेश किया था, जो बिना किसी विरोध के 115 वोटों के पास पारित हुआ.
'फोबिया सिर्फ इब्राहीम धर्मों तक ही सीमित नहीं है. ऐसे कई सबूत हैं जिससे समझा जा सकता है कि गैर-इब्राहीम धर्म भी इससे प्रभावित हैं.' भारत ने शुक्रवार को यूनाइटेड नेशन में यहूदी-विरोधी, क्रिस्चियनोफोबिया या इस्लामोफोबिया की निंदा की लेकिन हिंदू, बौद्ध और सिखों को प्रभावित करने वाले फोबिया पर भी जोड़ दिया और कहा कि इब्राहीम धर्मों से परे धार्मिक भय को पहचानने की जरूरत है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस्लामोफोबिया से निपटने को लेकर पाकिस्तान ने एक प्रस्ताव पेश किया था, जिससे भारत ने दूरी बनाई. यूनाइटेड नेशन में भारत की स्थायी प्रतिनिधिस रुचिरा कंबोज ने कहा, "...बहुलवाद के एक प्राउड चैंपियन के रूप में भारत सभी धर्मों और सभी आस्थाओं के समान संरक्षण और प्रचार के सिद्धांत को मजबूती से कायम रखता है... यह स्वीकार करना भी जरूरी है कि फोबिया इब्राहिम धर्म से भी आगे तक फैला है."
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'गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थानों पर हमले बढ़े'
रुचिरा कंबोज ने कहा कि दशकों के सबूत से पता चलता है कि गैर-इब्राहीम धर्म के मानने वाले भी धार्मिक फोबिया यानी डर से प्रभावित हुए हैं. विशेष रूप से हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी तत्व भी सामने आए हैं. गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थानों पर बढ़ते हमलों से यह स्पष्ट है कि फोबिया से किस तरह अन्य धर्म भी प्रभावित हैं."
115 ने पक्ष में किया वोट, 44 देश ने बनाई दूरी

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