स्कूल कैंपस में मोबाइल लेकर मत जाना! दिल्ली सरकार ने लगाए हैं ये प्रतिबंध
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टीचर्स और अन्य स्टाफ से भी क्लासरूम,प्लेग्राउंड, लैबोरेट्री और लाइब्रेरी जैसी जगह जहां पर टीचिंग और लर्निंग एक्टिविटी होती है, वहां मोबाइल फोन से परहेज करने के लिए कहा गया है. अगर छात्र स्कूल में मोबाइल फोन लेकर आ जाएं तो स्कूल अथॉरिटी किसी लॉकर आदि में उसको रखने की व्यवस्था करें
स्कूलों में बच्चों के मोबाइल फोन इस्तेमाल को लेकर दिल्ली सरकार ने सख्ती दिखाई है. अब निजी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए कैंपस या क्लास रूम में मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर सरकार ने सख्त नियम बनाने की बात कही है. मोबाइल फोन को लेकर दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के लिए अहम एडवाइजरी जारी की है.
दिल्ली सरकार ने एडवाइजरी में कहा है कि पेरेंट्स सुनिश्चित करें कि उनके बच्चे स्कूल प्रांगण में मोबाइल फोन लेकर ना आएं. सरकार का निर्देश है कि अगर छात्र स्कूल में मोबाइल फोन लेकर आ जाएं तो स्कूल अथॉरिटी किसी लॉकर आदि में उसको रखने की व्यवस्था करें, स्कूल के बाद छात्रों को मोबाइल फोन लौटा दें.
टीचर्स और अन्य स्टाफ से भी क्लासरूम, प्लेग्राउंड, लैबोरेट्री और लाइब्रेरी जैसी जगह जहां पर टीचिंग और लर्निंग एक्टिविटी होती है, वहां मोबाइल फोन से परहेज करने के लिए कहा गया है. स्कूल अथॉरिटी से कहा गया है कि वो हेल्पलाइन नंबर दे सकते हैं जहां स्टूडेंट्स और पैरेंट्स इमरजेंसी पड़ने पर फोन कर सकते हैं.
निदेशालय ने दिल्ली स्कूल शिक्षा एक्ट 1973 का हवाला देते हुए इसके इस्तेमाल पर एडवाइजरी तैयार की है. एडवाइजरी में अभिभावकों को भी ये सुनिश्चित करने को कहा गया है कि बच्चे स्कूल परिसर में मोबाइल फोन न ले जाएं. शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि मोबाइल फोन के उपयोग से बच्चो में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव हो सकते हैं. फोन के अत्यधिक उपयोग से तनाव, चिंता, सामाजिक अलगाव, नींद ना आना जैसे परिणाम हो सकते हैं.
मोबाइल बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में भी प्रभाव डालता है. इससे बुलिंग या उत्पीड़न की घटनाएं हो सकती हैं. अनुचित फोटो खींची जा सकती है या फिर अनुचित सामग्री की रिकॉर्डिंग व अपलोड किया जा सकता है. इसलिए स्कूल परिसरों में मोबाइल फोन के उपयोग को निश्चित रूप से नियंत्रित करने की आवश्यकता है.
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