सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सिर्फ कागजों पर न हों कोविड से यतीम हुए बच्चों के कल्याण की योजनाएं
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सुप्रीम कोर्ट ने न्याय मित्र नियुक्त किए गए वकील गौरव अग्रवाल की रिपोर्ट पर गौर करते हुए यह निर्देश दिए हैं. कोर्ट कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों की पहचान के लिए स्वतः संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रही थी.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगल को कहा कि कोविड-19 के चलते अपने माता-पिता को गंवा चुके बच्चों की पहचान में अब और ताखीर बर्दाश्त नहीं होगी. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने और मार्च, 2020 के बाद अनाथ हुए बच्चों की तादाद का ब्योरा देने का हुक्म दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह यकीनी बनाने की जरूरत है कि यतीम बच्चांे से मुंसलिक मंसूबों का फायदा असली हकदार तक पहुंचे और ये योजनाएं बस कागजों पर नहीं रहें. स्वतः संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रही है अदालत जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की पीठ ने जिलाधिकारियों को यतीम बच्चों की पहचान के लिए जिला बाल संरक्षण अधिकारियों को पुलिस, नागरिक समाज, ग्राम पंचायतों, आंगनवाडी और आशाकर्मियों की मदद लेने के लिए जरूरी दिशानिर्देश जारी करने का हुक्म दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने न्याय मित्र नियुक्त किए गए वकील गौरव अग्रवाल की रिपोर्ट पर गौर करते हुए यह निर्देश दिए हैं. कोर्ट कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों की पहचान के लिए स्वतः संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रही थी. मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी.More Related News