संसद की सुरक्षा में चूक: नीलम को वकील से मिलने की इजाजत, महेश को 13 दिनों की पुलिस रिमांड
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13 दिसंबर को संसद का सुरक्षा चक्र तोड़कर पूरे देश में सनसनी फैलाने वाले सभी छह आरोपियों से लगातार पूछताछ हो रही है. इस सिलसिले में एक आरोपी महेश कुमावत को एक बार फिर 13 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. वहीं दूसरी मुख्य आरोपी नीलम आजाद को उसके वकील से मिलने की इजाजत दी गई है.
संसद पर हुए आतंकी हमले की बरसी पर सुरक्षा चक्र तोड़कर हंगामा करने वाले एक आरोपी महेश कुमावत को एक बार फिर 13 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया है. वहीं इस मामले में दूसरी मुख्य आरोपी नीलम आजाद को उसके वकील से मिलने की इजाजत दे दी गई है. नीलम और उसके परिजनों ने दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें वकील से मिलने और एफआईआर की कॉपी की मांग की गई थी. उस वक्त कोर्ट ने उन्हें अलग-अलग याचिका दाखिल करने के लिए कहा था.
शनिवार को महेश कुमावत की 7 दिनों की पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया था. कोर्ट ने उसके वकील के बारे में पूछा, लेकिन उसने बताया कि उसके साथ कोई वकील नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने लीगल सेल से वकील बुलाने को कहा, जिसके बाद हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने आरोपी की 13 दिन की कस्टडी बढाने की मांग की थी. महेश के वकील ने कस्टडी बढाने की पुलिस की मांग का विरोध किया. उनका कहना था कि सभी इलेक्ट्रॉनिक सबूत होने के बाद कस्टडी की क्या जरूरत है.
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने आरोपी महेश कुमावत को 13 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया. अब सभी छह आरोपी एक साथ पांच जनवरी तक पुलिस कस्टडी में रहेंगे. पुलिस एक साथ सभी कोर्ट में पेश करेगी. दूसरी तरफ हरियाणा के जींद के घासो खुर्द गांव की रहने वाली आरोपी नीलम को उसके वकील से मिलने की इजाजत मिल गई है. उसके भाई रामनिवास ने बताया कि कोर्ट ने नीलम को उसके वकील से मिलने की अनुमति दी है, लेकिन उसके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की अनुमति नहीं मिली है.
नीलम के परिजनों ने कोर्ट में याचिका दाखिल करके उससे मिलने की मांग की थी. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने पेश हुए राम निवास ने कहा था कि संसद कांड के बाद दिल्ली पुलिस की एक टीम उनके गांव आई हुई थी. पुलिस उनसे एक ब्लैंक पेपर पर साइन करने का दबाव बना रही थी. उनके परिजनों को भी ऐसा करने के लिए कहा जा रहा था. लेकिन उन लोगों ने किसी भी पेपर पर साइन करने से इंकार कर दिया था. इसके बाद उन लोगों ने नीलम से मिलकर इस मामले की सच्चाई जानने की बात कही थी.
दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि एक प्रार्थना पत्र पर कई राहत की मांग कैसे की जा सकती है. इसके बाद नीलम के परिजनों के वकील से दोनों राहतों के लिए अलग-अलग आवेदन दायर करने के लिए कहा गया. इसके साथ उन्हें दिल्ली पुलिस आयुक्त के पास जाने का आदेश दिया गया. कोर्ट ने कहा कि उनको पहले पुलिस आयुक्त के पास जाना चाहिए. वो तीन सदस्यीय एक कमेटी का निर्माण कर रहे हैं. यदि उनको वहां से न्याय नहीं मिलता है, तब जाकर उनको कोर्ट का रुख करना चाहिए.
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