संसदीय समिति ने मार्च में ही जताया था वैक्सीन संकट का अंदेशा, प्रोडक्शन बढ़ाने की अपील भी की थी
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देश के अलग-अलग हिस्सों में वैक्सीन की भारी किल्लत है. इस बीच एक अहम जानकारी सामने आई है, संसद की स्थायी समिति ने मार्च में एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें सरकार से अपील की गई थी कि तुरंत वैक्सीन के प्रोडक्शन को युद्ध स्तर पर बढ़ाया जाए. लेकिन तब ऐसा नहीं किया गया.
कोरोना वायरस के महासंकट से निपटने के लिए देश में वैक्सीनेशन का काम जारी है. लेकिन इस वक्त सबसे बड़ी समस्या वैक्सीन की कमी की है, देश के अलग-अलग हिस्सों में वैक्सीन की भारी किल्लत है. इस बीच एक अहम जानकारी सामने आई है, संसद की स्थायी समिति ने मार्च में एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें सरकार से अपील की गई थी कि तुरंत वैक्सीन के प्रोडक्शन को युद्ध स्तर पर बढ़ाया जाए. लेकिन तब ऐसा नहीं किया गया. दरअसल, विज्ञान-प्रोद्यौगिकी और वन पर्यावरण संबंधित संसद की स्थायी समिति ने इसी साल फरवरी, मार्च महीने में अपनी बैठक में वैक्सीनेशन पर गहन चर्चा की थी. ये रिपोर्ट संसद के सदन पटल पर 8 मार्च को रखी गई थी. कुल 31 सदस्यों वाली इस कमेटी में 14 सदस्य सत्ताधारी दल से हैं, जिनमें से एक ने पुष्टि की है कि कमेटी के कई सदस्यों ने भारत में विकसित और निर्मित दोनों तरह के टीकों का उत्पादन युद्ध स्तर पर बढ़ाए जाने के साथ टीकाकरण की रफ्तार को भी तेज करने पर काफी चर्चा के बाद ये सिफारिश भी की थी. क्लिक करें: दिल्ली: कोवैक्सीन पर कन्फ्यूजन, खत्म होने के दावे के बावजूद लग रहा है टीकाक्या थीं कमेटी की सिफारिशें? समिति में चर्चा पर इस पर भी जोर दिया गया कि उत्पादन और टीकाकरण की रफ्तार दोनों को समानुपातिक तौर पर पूरे तालमेल के साथ बढ़ाए जाने की जरूरत है ताकि समाज के अंतिम जरूरतमंद नागरिक तक को आसानी से टीका लगाया जा सके. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग को इस बाबत और रिसर्च करने के लिए अतिरिक्त बजट का भी प्रावधान किया जाए. फरवरी में हुई बैठक में तो ये भी चर्चा हुई थी कि प्राथमिकता वाले ग्रुप के अलावा इसी अवधि में अन्य लोगों को भी कैसे टीका दिया जा सके, उसके भी इंतजामों पर विचार हो. लेकिन इन सभी व्यवस्थाओं के लिए पहली जरूरत समुचित मात्रा में टीकों की उपलब्धता है. जाहिर है कि उत्पादन क्षमता बढ़ाए बिना ये संभव ही नहीं है. बकौल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश समिति ने तो यहां तक कहा है कि मौजूदा उत्पादन क्षमता में तो प्राथमिकता ग्रुप्स के लिए भी टीके कम पड़ जाएंगे और अब वही हो भी रहा है.More Related News
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.