
लोकसभा में दिखा राहुल गांधी का अलग अंदाज, इन 6 बिंदुओं में समझिए
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जिस तरह की संजीदगी, वाकपटुता और आक्रामकता का समावेश एक विपक्ष के नेता में होनी चाहिए आज वह सब राहुल गांधी में दिखा. उनकी रणनीति बदली हुई थी. भाषण की शुरूआत से ही उन्होंने सत्ता पक्ष को ट्रोल करने के बजाए कई तार्किक बातें देश के सामने रखीं. हालांकि स्पीच के दूसरे हिस्से में उन्होंने सरकार को जमकर घेरा भी.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार को पूरे फॉर्म में दिखे. वो लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा की शुरुआत कर रहे थे. जिन लोगों ने इसके पहले राहुल गांधी को संसद में स्पीच देते हुए सुना होगा उन्हें इस बार वे पहले से कहीं अधिक परिपक्व लगे होंगे. वो आज सही मायने में विपक्ष के नेता की भूमिका में थे. जरूरत पड़ने पर उन्होंने सरकार की तारीफ की और मौका आने पर उन्होंने यूपीए वन और यूपीए टू सरकार को भी निशाने पर भी लिया. उनके भाषण में सहृदयता थी तो आक्रामकता भी थी. सत्ता पक्ष के साथ उनकी चुहलबाजी भी आज अच्छी लगी. जिस तरह की संजीदगी, वाकपटुता और आक्रामकता का समावेश एक विपक्ष के नेता में होना चाहिए आज वह सब उनमें दिखी. आज उनकी रणनीति भी बदली हुई दिखी. भाषण की शुरूआत से ही उन्होंने सत्ता पक्ष को ट्रॉल करने के बजाए कई तार्किक बातें देश के सामने रखीं. हालांकि सत्ता पक्ष की आलोचना में कहे गए उनके कई तर्क गले से नहीं उतरे . पर एक विपक्ष के नेता का सबसे पहला काम सत्ता पक्ष को घेरना ही होता है जो उन्होंने भली भांति किया .
1-कांन्स्ट्रक्टिव दिखने की कोशिश
राहुल गांधी ने भाषण की शुरूआत में ही अपने इरादे जता दिए थे. उन्होंने बोलने का मौका देने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को धन्यवाद बोलते ही और कैमरे के लिए भी डबल थैंक्यू बोला. उन्होंने कहा ,मैंने राष्ट्रपति का भाषण सुना. वे पिछले कई सालों से यही बातें सुन रहा हूं. हमने ये किया, हमने वो किया. मैं संसद में बैठकर उन्हें सुन रहा था, मैंने सिर्फ उसके खिलाफ बोला जो उन्होंने बोला. आज मैं वो बताऊंगा कि उनका संबोधन कैसा हो सकता था. राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है. हम यह सोच रहे थे कि इंडिया ब्लॉक की सरकार होती तो राष्ट्रपति का अभिभाषण कैसा होता. इसमें बेरोजगारी का कोई जिक्र नहीं है. ना तो यूपीए, ना ही एनडीए ने युवाओं के रोजगार के सवाल का क्लियर कट जवाब दिया. इस तरह राहुल ने न केवल एनडीए सरकार को टार्गेट किया बल्कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को भी निशाने पर लिया.राहुल ने मेक इन इंडिया की बात करते हुए पीएम मोदी के आइडिया की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया की जो बात की, वह अच्छा आइडिया है. लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग फेल रही है. हम प्रधानमंत्री पर दोषारोपण नहीं कर रहे, पीएम ने कोशिश की, ये आइडिया सही था लेकिन वे फेल रहे हैं. इस तरह राहुल गांधी के भाषण की शुरूआत एक दार्शनिक नेता के रूप में हुई जिसके सामने न कोई अपना था और न ही कोई गैर था.
2- डैमेज कंट्रोल: राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद सत्ता पक्ष के निशाने पर थे सोनिया और राहुल
संसद के बजट सत्र की शुरूआत के पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन के तुरंत बाद संसद परिसर में सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को अभिभाषण पर एक वीडियो में आपसी चर्चा करते हुए देखा गया. इसमें सोनिया गांधी को यह कहते हुए सुना गया, 'बेचारी महिला, राष्ट्रपति, अंत में बहुत थक गई थीं. वह मुश्किल से बोल पा रही थीं, बेचारी' राहुल गांधी को सोनिया गांधी से पूछते हुए सुना गया कि क्या राष्ट्रपति का भाषण 'उबाऊ' था? इस बात को बीजेपी ने मुद्दा बना दिया . पीएम मोदी ने दिल्ली की एक चुनावी सभा में गांधी परिवार पर हमला बोला. जेपी नड्डा से लेकर देश भर के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति मुर्मू का इसे अपमान बताया था. राहुल गांधी के सामने यह चैलेंज था कि उस दिन जो हुआ उसमें अपने आपको पाक साफ दिखा सकें. इसलिए ही उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत में ही बता दिया कि भाषण में क्या होना चाहिए था. ये भी बता दिया कि वो इस तरह की बातें एनडीए ही नहीं यूपीए सरकार के दौरान भी नहीं सुना.
3-मुद्दों में एकरूपता आ गई थी

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