लैब में कैसे बनते हैं हीरे, क्या है बजट में इस तरह के हीरों के लिए निर्मला का ऐलान
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि लैब में बने हीरों के उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए आईआईटी को ग्रांट दिया जाएगा. ताकि वो लैब में बनने वाले हीरों की उत्पादन यूनिट बनाने में मदद कर सकें. आइए जानते हैं कि लैब में कैसे बनते हैं हीरे? क्या वो प्राकृतिक हीरों से सस्ते होते हैं?
लैब में बने हीरे... आखिर ये हैं क्या? कैसे बनते हैं? वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि वो लैब में बनने वाले हीरों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी को ग्रांट देंगी. आपको बता दें कि इस समय प्राकृतिक हीरों के बाद लैब में बने हीरों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. इसलिए जरूरी है कि इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया जाए. इनके लिए मैन्यूफैक्चरिंग लैब बनाए जाएं.
इन लैब्स को बनाने में तकनीकी मदद ली जाए. इसलिए वित्त मंत्री ने आईआईटी को ग्रांट देने की बात कही है. क्योंकि आईआईटी से बेहतर लैब बनाने वाली संस्था देश में और कौन सी हो सकती है. हीरा व्यापारियों ने वित्त मंत्री से अपील की थी कि लैब में बनने वाले हीरों को बनाने के लिए जो उपकरण लगते हैं, उनकी इंपोर्ट ड्यूटी कम की जाए या खत्म की जाए. अगर आईआईटी स्वदेशी लैब बनाएगा तो उससे हीरा उद्योग को फायदा होगा. उपकरण इंपोर्ट करने की जरुरत नहीं पड़ेगी.
प्राकृतिक हीरे तो बेशकीमती होते हैं. हीरा एक खनिज है, जो जमीन के नीचे मौजूद कार्बनिक पदार्थ होता है. हीरा तो शुद्ध रूप से कार्बनिक है. यानी इसे अगर आप जलाते हैं तो अंत में आपको राख भी नहीं मिलेगी. यह कार्बन में बदल जाएगा. जमीन के अंदर भयानक दबाव और तापमान में जब कार्बन के कण मिलते हैं, तब वो हीरा बनाते हैं. ये तो बात हो गई प्राकृतिक हीरे की.
लैब में हीरे बनते कैसे हैं?
आजकल हीरों को एक दूसरा उद्योग भी है. जिसे लैब में बने हीरों का उद्योग कहते हैं. यानी लैब ग्रोन डायमंड्स (Lab Grown Diamonds). इन्हें आर्टिफिशियल हीरा भी कहा जाता है. देखने में एकदम असली जैसा. जैसे हमलोग किसी चीनी के डिब्बे में चीन को दबा-दबा कर भरते हैं, वैसे ही जब कार्बन के कई अणु ठूंस-ठूंसकर जोड़े जाते हैं, तब हीरा बनता है. इन्हें बनाने के लिए लैब उच्च तापमान और दबाव पैदा किया जाता है.
हमारे ऊतकों से भी बन सकता है हीरा
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