लड़कियों को सिगरेट पीता देख टोकते थे अनुराग कश्यप, अब बेटी के यूट्यूब चैनल की वजह से...
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अनुराग कश्यप की बेटी आलिया कश्यप ने अपने पिता की राह न चुनते हुए यूट्यूब पर अपना डिजिटल डेब्यू किया था. आलिया कई बार अपनी वीडियोज की वजह से ट्रोलर्स के निशाने पर रही हैं. एक पिता के नाते अनुराग कितना प्रोटेक्टिव महसूस करते हैं. इस पर अनुराग ने हमसे डिटेल में बातचीत की है.
अनुराग कश्यप इन दिनों अपने मिजाज के विपरीत लव स्टोरी लेकर आ रहे हैं. फिल्म 'ऑलमोस्ट प्यार विथ डीजे मोहब्बत' में अनुराग टीनएजर्स की जिंदगी में होने वाले लव कॉम्प्लीकेशंस को सुलझाते नजर आने वाले हैं. हालांकि अनुराग का कहना है कि उन्होंने यह फिल्म किसी और मंशा से बनाई है. इस मुलाकात में अनुराग अपने इस फिल्म और बेटी आलिया संग अपने रिलेशन पर खुलकर बातचीत करते हैं.
अपने फिल्म के बारे में अनुराग कहते हैं, मेरे लिए यह जहीन फिल्म है. भले लोगों को लगे कि अरे अनुराग तो लव स्टोरी लेकर आया है, जो सच नहीं है. यहां मैं जो कहना चाह रहा हूं, वो बात अलग है. मैं उन्हें टीनएजर्स नहीं, बल्कि मेरे जैसे जनरेशन के लोगों की बात भी कहना चाह रहा हूं. जब मैं बड़ा हो रहा था, तो उस वक्त हमारा तौर-तरिका अलग होता था. उसके लिए हमारे धर्म को अलग होने की जरूरत नहीं होती थी. मेरी दादी पूजा पाठ किया करती थी. घर पर अंडा तक बनने की इजाजत नहीं थी. वहीं हमलोग खाते थे. मैं नॉन वेजिटेरियन खाता, तो घर के बाहर अंगीठी बनती थी, वहां एक अलग बर्तन होता था. पापा पकाया करते थे. इस सीन को मैंने मुक्काबाज में इस्तेमाल किया था.
हम उस वक्त नॉनवेज खाकर हाथ धोने के बाद घर में घूसा करते थे. हमारे बर्तन तक अलग हुआ करते थे. किसी को उस वक्त दिक्कत नहीं थी. हम दादी और उनकी विलिफ को एक्सेप्ट किया करते थे. वो भी हमें रोकती नहीं थी, लेकिन आज ऐसा वक्त आ गया है कि दादी बाहर आकर कहेंगी कि अंगीठी तोड़ो. यहां मत खाओ और हम ऐसे हो गए हैं कि नहीं, हम तो यहीं खाएंगे. हमारा जो आपसी रिस्पेक्ट था, वो खत्म हो गया है. पहले हम जियो और जीने दो पर यकीन करते, थे लेकिन अब हो गया है कि माई वे या हाइवे.
अनुराग आगे कहते हैं, हमारा समाज ऐसा बन गया है. इस समाज में जो भुगत रहा है. वो है हमारी नई जनरेशन. हम अपनी जनरेशन व बच्चों के लिए कौन सी दुनिया छोड़कर जा रहे हैं. अब वो सोचता हूं, तो डर जाता हूं. इसलिए मैंने वो फिल्म बनाई है. मेरे इस फिल्म बनाने का सबसे कारण यही हमें बहुत जरूरत है, हमें एक दूसरे को स्वीकार करने की और आपसी मोहब्बत की. ये वो मोहब्बत है, जिसकी जरूरत समाज को है. ये बच्चों के सवालों के जवाब मैं समाज के सामने रखना चाहता हूं. बच्चों का भविष्य या चॉइस डिसाइड करने वाले हम कौन होते हैं. वे बच्चे अपने स्ट्रगल्स के साथ जी रहे हैं. हम बड़े उनपर अपना एक्स्पीरियंस थोपते हैं.