रॉकी और रानी के प्रेम की रियल कहानी! बौखलाती सोच, जजमेंट्स और बॉलीवुड स्टाइल सिनेमा का 'गोल्डन' सेलिब्रेशन
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करण जौहर का जादू चल गया कहें तो गलत नहीं होगा. रॉकी और रानी की प्रेम कहानी वैसे ही ब्लॉकबस्टर साबित हो रही है. लेकिन इस फिल्म ने डगमगाते बॉलीवुड को अपने पैरों पर फिर से खड़ा कर दिया है. धनलक्ष्मी हो या कंवल-जामिनी, रॉकी-रानी हो या फिल्म के गाने और मिसोजिनी सीन्स, फिल्म अधिकतर पैमाने पर खरी ही उतरती दिखाीई देती है. अगर आप बॉलीवुड मसाला फिल्मों का सही मतलब समझते हैं तो इस फिल्म से इनकार नहीं करेंगे.
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से अगर आपसे बॉलीवुड का मतलब पूछा जाए तो आपको 90 प्रतिशत जवाब शायद करण जौहर ही मिलेगा. हो भी क्यों ना, जनाब अपनी फिल्मों में मसाले का ऐसा तड़का लगाते हैं कि किचन किंग भी शर्मा के किचन से बाहर भाग जाता है. सात साल बाद सोलो फिल्म डायरेक्शन की कमान संभालने आए करण ने जैसे पारस पत्थर को छू लिया. कैसे वो भी बताएंगे...पर पहले ये समझना जरूरी है कि बॉलीवुड है क्या? किन चीजों से मिलकर बना है बॉलीवुड? इस बॉलीवुड'नुमा' दुनिया में ऐसा कौन सा मिश्रण है, जिसे देख या सुन लोग बोहरा जाते हैं? एक अदने से कलाकार को रातोरात सुपरस्टार बना जाते हैं?
...तो बॉलीवुड वो जादुई नगरी है, जहां आपको बड़े-बड़े सेट, कभी भारी-भरकम काम वाले कॉस्ट्यूम...तो कभी शिफॉन साड़ी का पल्ला लहराती एक्ट्रेसेज, मेलोड्रामा, मार-धाड़, बर्फ वाला रोमांस, परिवार से बगावत, विशालकाय त्योहारों का सेलिब्रेशन, शादी-सगाई, सड़क के बीचों बीच नाचना-गाना...सब देखने को मिलता है. पर, ये सब कुछ होता है डिजाइनर. इस जादू से जब कोई सिनेमाई फैन रूबरू होता है, तो जागती है आंखों में एक चमक, उसे सब हसीं लगता है. वो गाने का, सीन का, एक्टर का बन जाता है- जबरा फैन. फिर कहानी और स्क्रीनप्ले जैसी चीजों को कौन-ही पूछता है?
बॉलीवुड की हुई वापसी
अब ये है साल 2023, ऐसा तो है नहीं कि ऐसी फिल्में नहीं बनती, जहां हीरो-हीरोइन का नाच गाना नहीं होता, रोमांस और ड्रामा नहीं होता. होता है, वो फिल्में लोगों को अच्छी भी लगती हैं. लेकिन बॉलीवुड का काटा कीड़ा शांत नहीं कर पाती हैं. ये शांत होती है 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' जैसी फिल्मों से, जिसे बनाने में करण ने बॉलीवुड प्रेमियों के हर एलिमेंट का बखूबी यूज किया है. लेकिन फिर कह दे रहे हैं स्क्रीनप्ले मत पूछना!! यूं तो आपको करण की फिल्मों में लव स्टोरी गाड़ी के फ्रंट सीट पर बैठी दिखती है, लेकिन रॉकी (रणवीर सिंह) और रानी (आलिया भट्ट) की प्रेम कहानी यहां बैक सीट पर बैठी दिखती है. क्योंकि फ्रंट सीट इस बार करण ने परिवार और रिश्तों की उलझन को सुलझाने के लिए रिजर्व की हुई है. एक और प्रेम कहानी है धर्मेंद्र और शबाना आजमी की जो कि बेहद प्यारी है, और उनकी जोड़ी आपका दिल जीत लेती है.
लेकिन हम यहां आपको कोई रिव्यू देने नहीं, बल्कि बताने आए हैं, वो प्वाइंट्स जो आपने शायद फिल्म को एंजॉय करने में मिस कर दिए होंगे. फिल्म कई सीरियस इशूज से डील करती है. मिसोजिनी सोच, पितृसत्ता दबाव, दो कल्चर की भिड़ंत, लड़का-लड़की का फर्क और घर का वारिस कौन? जैसी कई टॉपिक्स को फिल्म में बड़े हल्के-फुल्के तरीके से उठाया गया है, और आपके जहन में बैठाया गया है. वहीं फिल्म की कास्ट इन इशूज से जस्टिस करती भी दिखती है. फिल्म रिलीज होने से पहले बहुत कहा गया- अरे रणवीर-आलिया ठीक से स्लो-मो तो कर नहीं पा रहे, ना तो आलिया ठीक से पल्ला-बाल लहरा पा रही हैं, ना ही रणवीर शाहरुख जैसे बांहें फैला पा रहे हैं. क्या ही केमिस्ट्री होगी इन दोनों के बीच. तो भाई लोग, करण जौहर खेल गए हैं, आपके इमोशन्स से. जैसे साल 2013 में रांझणा फिल्म में लोगों धनुष पहले बड़े ही मिसमैच लगे थे, लेकिन जब मूवी रिलीज हुई तो सोनम कपूर के साथ उनकी केमिस्ट्री और एक्टिंग देख, हर किसी के दिमाग के परखच्चे उड़ गए थे. वैसे ही यहां भी कुछ ऐसा ही कमाल हुआ है.
एंटरटेनर ऑफ द ईयर रॉकी