रूस की वजह से सऊदी अरब हुआ मजबूर? उठाया चौंकाने वाला कदम
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सऊदी अरब जुलाई के लिए एशिया को बेचे जाने वाले अपने कच्चे तेल की कीमतों में कटौती कर सकता है. बताया जा रहा है एशियाई बाजार में सऊदी अरब के तेल की मांग घटती जा रही है. एक तरफ जहां रूसी तेल एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ सऊदी अरब को एशियाई बाजार में दिक्कतें पेश आ रही हैं.
सऊदी अरब से भारत समेत सभी एशियाई देशों के लिए अच्छी खबर है. विश्व का शीर्ष तेल निर्यातक देश जुलाई में एशिया को बेचे जाने वाले अपने सभी तरह के कच्चे तेल की कीमतों में भारी कटौती कर सकता है. यह खबर 3-4 जून के बीच तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक प्लस की बैठक से ठीक पहले आई है. माना जा रहा है कि बैठक में ओपेक प्लस के देश फिर से तेल उत्पादन में कटौती पर सहमत होंगे.
एक तरफ जहां रूस एशियाई तेल बाजार में रियायती तेल बेचकर मजबूत होता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ सऊदी अरब, जिसकी बाजार में बादशाहत थी, अब कमजोर पड़ता जा रहा है. ऐसी स्थिति में अगर सऊदी अरब से एशिया के लिए तेल की कीमतों में कटौती की खबर आती है, तो यह कोई बड़ी बात नहीं होगी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक पोल के मुताबिक, दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी सऊदी अरामको जुलाई में अपने फ्लैगशिप अरब लाइट क्रूड की कीमत में लगभग एक डॉलर प्रति बैरल की कटौती कर सकती है. रॉयटर्स से बात करते हुए सात सूत्रों ने यह जानकारी दी है.
अगर ऐसा होता है तो जुलाई में अरब लाइट क्रूड की कीमत ओमान और दुबई की तेल कीमतों के औसत से 1.55 डॉलर प्रति बैरल कम हो जाएगी जो नवंबर 2021 के बाद से सबसे कम होगी. अगर तेल की कीमतें कम होती है तो इससे भारत को फायदा होगा क्योंकि सऊदी भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है.
कीमत कम करने का कारण क्या?
एक सूत्र ने इस पर बात करते हुए कहा, 'एशियाई रिफाइनरियों में रिफाइनिंग मार्जिन बहुत कम बना हुआ है और उन पर दबाव है कि वो तेल रिफाइनिंग में होने वाली लागत को कम करें.'
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