
रुपया गिरा, महंगाई बढ़ी...100 दिन के रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत पर असर
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रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया को फिर संकट में झोंक दिया है. भारत पर भी इसका असर साफ देखने को मिल रहा है. महंगाई चरम पर पहुंच गई है और रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है.
रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण युद्ध 100 दिन से भी ज्यादा लंबा खिच चुका है. जिस युद्ध को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 72 घंटे के अंदर समाप्त करने के सपने देख रहे थे, अब स्थिति जमीन पर पूरी तरह बदल चुकी है. रूस और यूक्रेन को तो इस युद्ध की वजह से भारी नुकसान उठाना ही पड़ रहा है, दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. जो संकेत मिल रहे हैं, वो सिर्फ और सिर्फ आसमान छूती महंगाई, सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था और गिरती करेंसी की ओर इशारा करते हैं. भारत में भी यहीं तमाम संकेत देखने को मिल रहे हैं.
कोरोना ने भारत की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट जरूर पहुंचाई थी, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने स्थिति को बद से बदतर करने का काम कर दिया है. जो रुपया 24 फरवरी को डॉलर के मुकाबले 75.3 स्तर पर चल रहा था, युद्ध के तीन महीने बाद ही मई में वो आंकड़ा 77.7 पर पहुंच गया. यानी की सीधे-सीधे रुपया 4 फीसदी तक कमजोर हो गया. अब रुपया कमजोर पड़ा तो इसका असर आयात पर भी दिखने लगा. देश के लिए इस समय कच्चे तेल का आयात महंगा हो गया है. मई महीने में कच्चे तेल की कीमत USD 122.8 बैरल पहुंच गई है. बीच में तो ये आंकड़ा USD 128 बैरल को भी छू चुका है. इसके अलावा भारतीयों को अब डॉलर में पेमेंट करना भी भारी पड़ने वाला है.
रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया में महंगाई को भी कई गुना बढ़ा दिया है. कई देश इस समय सबसे ज्यादा महंगाई दर दर्ज कर रहे हैं. भारत भी इस मामले में कई रिकॉर्ड तोड़ काफी आगे निकल चुका है. आंकड़े बताते हैं कि इस साल अप्रैल में भारत में सालाना महंगाई दर 7.8 फीसदी पहुंच गई थी. यहां भी वनस्पती तेल, गेहूं, चीनी के दामों में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है. इसके अलावा भारत का बाजार इस युद्ध के झटकों से नहीं उबर पाया है. आंकड़े भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं. फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स ने करीब एक लाख करोड़ रुपये भारतीय बाजार से बाहर निकाल लिए हैं. पिछले 9 महीनों में इन्होंने जितना कुल पैसा बाहर निकाला था, युद्ध की वजह से करीब 50 हजार करोड़ अतिरिक्त बाहर निकाले गए हैं.
अब महंगाई बढ़ी, बाजार कमजोर पड़े, अर्थव्यवस्था पर भी ब्रेक लग गया. लेकिन इस सब के अलावा पूरी दुनिया में मानवीय संकट भी खड़ा हो गया. इस समय 45 देश फूड इनसिक्योरिटी से ग्रस्त हो गए हैं. ब्लैक सी पर मौजूद यूक्रेन के पोर्टों को भी खोलने की तैयारी है जिससे जल्द खाद्य सामग्री का निर्यात किया जा सके.
ऐसे में इस एक युद्ध ने पूरी दुनिया को कोरोना के बाद दूसरे बड़े संकट में झोंक दिया है. एक बार फिर भविष्य को लेकर आशंका है, बढ़ती महंगाई से जीना दूभर है और सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था से बेरोजगारी का खतरा मंडराने लगा है.

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