
राम नवमी पर होगा रामलला का 'सूर्य तिलक', देखने सपरिवार अयोध्या पहुंचे अरुण योगीराज
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राम नवमी पर सूर्य तिलक के लिए सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 1 बजकर 35 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा. इस मौके पर रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज भी अयोध्या में मौजूद रहेंगे. वह प्रभु राम के सूर्याभिषेक का साक्षी बनेंगे. रामनवमी के मौके पर अरुण अपने परिवार के साथ अयोध्या पहुंच चुके हैं.
इस बार राम नवमी न केवल अयोध्या के लिए बल्कि दुनिया भर के राम भक्तों के लिए बेहद खास है. सदियों बाद यह पहली राम नवमी जब भक्त अपने आराध्य का दर्शन भव्य मंदिर में करेंगे. वाल्मीकि रामायण के अनुसार त्रेता युग में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था. कल भव्य राम मंदिर में दोपहर 12 बजे भगवान राम के बाल स्वरूप का सूर्य तिलक होगा. शुभ मुहूर्त में बालक राम का सूर्याभिषेक किया जाएगा. राम नवमी पर सूर्य तिलक के लिए सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 1 बजकर 35 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा.
इस मौके पर रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज भी अयोध्या में मौजूद रहेंगे. वह प्रभु राम के सूर्याभिषेक का साक्षी बनेंगे. राम नवमी के मौके पर अरुण अपने परिवार के साथ अयोध्या पहुंच चुके हैं. उन्होंने कहा, 'हम प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली बार यहां आए हैं. मेरा काम देखकर मेरा परिवार बहुत खुश हुआ... हम रामनवमी उत्सव का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे'. राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे जब रामलला का जन्म होगा, उसी के बाद उनके माथे पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी. भगवान राम के सूर्याभिषेक के पीछे साइंस के रिफ्लेक्शन ऑफ लाइट फॉर्मूले (प्रकाश परावर्तन का नियम) का इस्तेमाल किया जाएगा.
#WATCH | Ayodhya: Ram Lalla idol sculptor Arun Yogiraj says, "We are here for the first time after the 'pran pratishtha' ceremony. My family was very happy after seeing my work... We are anxiously waiting for the Ram Navami celebration..." https://t.co/CqdUoHkJ1D pic.twitter.com/a87Nzf72qz
राम मंदिर निर्माण के दौरान वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च किया था और इसका बीते दिनों सफल ट्रायल भी किया जा चुका है. राम नवमी वाले दिन ठीक दोपहर 12 बजे सूर्य की रोशनी मंदिर के तीसरे तल पर लगे पहले दर्पण पर पड़ेगी. किरणें यहां से परावर्तित होकर पीतल की पाइप में प्रवेश करेंगी और अंदर लगे दूसरे दर्पण से टकराकर पुनः 90 डिग्री कोण पर परावर्तित हो जाएंगी. पीतल की पाइप से गुजरते हुए सूर्य की किरणें तीन अलग-अलग लेंस से होकर गर्भ गृह वाले सिरे पर लगे दर्पण से टकराएंगीं. इसके बाद किरणें सीधे रामलला के मस्तिष्क पर 75 मिलीमीटर का गोलाकार तिलक लगाएंगी. रामलला के ललाट पर 4 मिनट तक सूर्य तिलक होगा.

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