योगी आदित्यनाथ: संत से सियासत और यूपी की सत्ता के शीर्ष तक योगी का 'अजय' पथ!
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अजय सिंह बिष्ट ने साल 1994 में बसंत पंचमी के दिन योग की दीक्षा ली थी और तब से उनका नाम योगी आदित्यनाथ हो गया था. साल 1998 में सबसे कम उम्र के सांसद निर्वाचित हुए योगी साल 2017 में पहली बार यूपी के सीएम बने थे.
उत्तर प्रदेश की सियासत के कई मिथक तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश का राजनीतिक इतिहास बदल दिया है. पौड़ी गढ़वाल के एक सुदूर पहाड़ी गांव में जन्में एक लड़के की देश के सबसे अधिक आबादी वाले सूबे की सत्ता के शीर्ष पद पर लगातार दूसरी बार ताजपोशी हो रही है.
योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड के पौड़ी जिले की यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव से निकलकर नाथ संप्रदाय के संत बने. योगी आदित्यनाथ के संन्यास लेने से पहले उनका नाम अजय सिंह बिष्ट था. 5 जून 1972 को पंचूर में जन्में योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट वन विभाग में रेंजर थे. योगी आदित्यनाथ की माता सावित्री देवी गांव में ही रहती हैं. योगी आदित्यनाथ चार भाई और तीन बहनें हैं. योगी आदित्यनाथ के दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं जबकि एक भाई सेना की गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार है. योगी ने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल से ली.
सहेज कर रखी हैं योगी की यादें
योगी आदित्यनाथ के घर में आज भी उनकी यादें सहेज कर रखी गई हैं. योगी आदित्यनाथ को तस्वीरें खिंचवाने का शौक था. उनके बचपन और गोरखनाथ मठ में दीक्षा लेने की तस्वीरें भी रखी हुई हैं. पढ़ाई के दौरान सीएम योगी की ओर से बनाए गए नोट्स भी घर में सहेज कर रखे गए हैं. योगी ने जिस कमरे में बचपन गुजारा, आज भी गांव आने पर उसी में रुकते हैं. सबसे छोटे भाई महेंद्र बताते हैं कि वे पढ़ाई पर बहुत जोर देते हैं. लड़कियों की शिक्षा पर उनका खासा जोर रहता है. उन्होंने गांव में लड़कियों के लिए डिग्री कॉलेज भी खुलवाया है.
शर्मीले स्वभाव के थे योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ को जानने वाले बताते हैं कि वे शुरू से ही शर्मीले स्वभाव के थे, इसी कारण घर में भी बहुत कम बात किया करते थे. उन्होंने अपनी अधिकतर पढ़ाई घर से बाहर रहकर ही की. कक्षा 9 में वे इंटर कॉलेज चमकोटखाल में हॉस्टल में रहें. वे शनिवार की शाम को कॉलेज से घर आते और सोमवार की सुबह-सुबह एक हफ्ते का राशन लेकर फिर हॉस्टल चले जाते. उनके साथ गांव का ही एक लड़का और पढ़ता था. योगी आदित्यनाथ तब गांव के लड़के के साथ ही रहते थे. गणित के सवालों को वे जल्दी से समझते और हल किया करते थे.
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