मोरबी हादसा: ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल ने अग्रिम जमानत याचिका दायर की
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मोरबी हादसे में पीड़ित परिवारों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है. हादसे की जांच के लिए कई कमेटियां बनाई गईं. कई लोगों पर आरोप भी लगे, जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल को नोटिस जारी किया था.
पिछले साल हुए गुजरात के मोरबी हादसे में ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल ने अग्रिन जमानत के लिए याचिका दायर की है. इस मामले पर अब शनिवार को अदालत में सुनवाई होगी. मोरबी हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी.
मोरबी हादसे में पीड़ित परिवारों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है. हादसे की जांच के लिए कई कमेटियां बनाई गईं. कई लोगों पर आरोप भी लगे, जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल को नोटिस जारी किया था.
इसके अलावा कोर्ट ने मोरबी कॉरपोरेशन के पार्षदों की उन दलीलों को भी खारिज कर दिया था, जहां पर कहा गया कि इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है. असल में मोरबी कॉरपोरेशन के पार्षदों ने कोर्ट में कहा था कि जब ओरेवा कंपनी के साथ करार हुआ था, हमसे कोई बात नहीं की गई. हम फैसले में शामिल भी नहीं थे. कोई मीटिंग भी नहीं की गई थी. हमें सिर्फ अंधेरे में रखा गया. लेकिन कोर्ट ने इन तर्कों को मानने से मना कर दिया है और सभी की जवाबदेही तय करने की बात हो रही है.
कोर्ट ने दो टूक कहा था कि लापरवाही को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता. अगर मोरबी कॉरपोरेशन की तरफ से भी लापरवाही की बात सामने आएगी, तो उनके खिलाफ भी एक्शन होगा.
जानकारी के लिए बता दें कि गुजरात के मोरबी में मच्छुल नदी पर बना हैंगिंग ब्रिज टूट गया था. हादसे के वक्त इस पर 300-400 लोग मौजूद थे. सभी लोग नदी में गिर गए थे. हालांकि, इनमें से कुछ की जान बचा ली गई थी. इस हादसे में 135 लोगों की मौत हुई है. चौंकाने वाली बात ये है कि ब्रिज हादसे से 5 दिन पहले ही 7 महीने की मरम्मत के बाद खोला गया था. साथ ही ब्रिज खोलने से पहले फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं लिया गया था.
इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट द्वारा लगातार सुनवाई की जा रही है. पिछली सुनवाई में पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा देने की बात कही गई थी. कोर्ट ने जोर देकर कहा था कि इस स्तर पर घायलों के लिए 50,000 रुपये का मुआवजा भी कम है. चोटों का विवरण, अस्पताल में भर्ती, उपचार का विवरण, अंतरिम रिपोर्ट में सामने नहीं आ रहे हैं.
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