मोदी सरकार ने लिया फटाफट फैसला, अब इस कंपनी में बेचेगी अपनी पूरी हिस्सेदारी
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सरकार को विनिवेश के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब सरकार कुछ ऐसी कंपनियों के शेयर बेचने की योजना पर कई दिनों से काम कर रही थी, जिसमें उसकी सीमित हिस्सेदारी है.
सरकारी बीमा कंपनी LIC में आईपीओ लाकर 3.50 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के बाद अब केंद्र सरकार एक और कंपनी के अपने सारे शेयर बेचने की तैयारी में है. सरकार को विनिवेश के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब सरकार कुछ ऐसी कंपनियों के शेयर बेचने की योजना पर कई दिनों से काम कर रही थी, जिसमें उसकी सीमित हिस्सेदारी है.
डील से सरकार को मिल सकते हैं इतने हजार करोड़
आज तक की सहयोगी वेबसाइट बिजनेस टुडे को सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने हिंदुस्तान जिंक की पूरी हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दे दी. यह मंजूरी आज हुई बैठक में दी गई. कंपनी में सरकार के पास अभी 29.5 फीसदी हिस्सेदारी है. सरकार को उम्मीद है कि इस बिक्री से उसे 36 हजार करोड़ रुपये मिल सकते हैं.
धीरे-धीरे इतनी हो गई वेदांता की हिस्सेदारी
अभी हिंदुस्तान जिंक में अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता प्रमोटर की हैसियत में है. केंद्र सरकार और वेदांता के बीच चल रहे मुकदमेबाजी को दोनों पक्ष हाल ही में समाप्त करने पर सहमत हुए थे. आज जैसे ही सरकार की पूरी हिस्सेदारी बिकने की खबर बाहर आई, हिंदुस्तान जिंक के शेयर एक झटके में 7 फीसदी चढ़ गए. हिंदुस्तान जिंक में एक समय सरकार के पास ज्यादातर हिस्सेदारी हुआ करती थी. सरकार ने पहले 2002 में वेदांता को इस कंपनी की 26 फीसदी हिस्सेदारी बेची. धीरे-धीरे वेदांता की हिंदुस्तान जिंक में हिस्सेदारी बढ़कर 64.92 फीसदी पर पहुंच गई.
आईटीसी में भी हिस्सेदारी बेचने की है तैयारी