माफिया मुख्तार अंसारी की मौत का गाजीपुर और आसपास की राजनीति पर क्या असर होगा?
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गाजीपुर और आसपास के इलाकों में 90 के दशक के बाद पहली बार कोई चुनाव होने जा रहा है जिसमें माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का सीधा प्रभाव नहीं होगा, लेकिन कुछ न कुछ असर तो होगा ही - सवाल फिलहाल यही है कि कितना, कहां और क्या असर होगा?
मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या के 8 केस तब दर्ज हुए थे जब वो जेल में बंद था, और अलग अलग जेलों में रहते हुए ही मुख्तार अंसारी ने अपने जीवन के आखिरी तीन चुनाव जीते थे - 2007, 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव.
मुख्तार अंसारी को मऊ से लगातार 5 बार विधायक बनने का मौका मिला, जिसमें दो बार वो मायावती की बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. पहली बार भी मुख्तार को बीएसपी उम्मीदवार के रूप में ही कामयाबी मिली थी.
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में मऊ सीट से अपनी जगह अपने बेटे अब्बास अंसारी को आगे किया, और तब सुहेलदेव समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने अपने कोटे से उसे टिकट दिया था. तब ओम प्रकाश राजभर का समाजवादी पार्टी से चुनावी गठबंधन हुआ करता था, लेकिन अखिलेश यादव अपनी तरफ से मुख्तार अंसारी से दूरी बनाने की कोशिश करते थे.
जेल में रहते हुए मुख्तार अंसारी की मौत पर राजनीतिक दलों ने रिएक्ट तो किया है, लेकिन काफी संभल कर. किसी ने सीधे सीधे कोई सवाल नहीं उठाया है, बल्कि ज्यादातर नेता मुख्तार अंसारी के परिवार के आरोपों को ही आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
यूपी के विपक्षी दलों का ये संभल कर बोलना ही इस बात का संकेत है कि वे इसे चुनावों से जोड़ कर देख तो रहे हैं, लेकिन असर उलटा न पड़ जाये इस बात का उनको डर भी लग रहा है. अखिलेश यादव के मुकाबले मायावती इस मुद्दे पर ज्यादा सतर्क नजर आ रही हैं.
मुख्तार की मौत पर नेताओं का रिएक्शन
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