मानस मंत्र: सुमिरत सारद आवति धाई, सरस्वती जी ब्रह्म लोक से दौड़ी चली आती है रामचरित के तलाब में डुबकी लगाने
ABP News
श्रीरामचरितमानस ग्रंथ की रचना तुलसीदास जी अनन्य भगवद् भक्त के द्वारा की गई है. मानस मंत्र के अर्थ को समझते हुए मानस की कृपा से भवसागर पार करने की शक्ति प्राप्त करते हैं -
रामचरितमानस के बालकाण्ड में तुलसीदास जी ने रामचरित के गुणों की महत्ता को बताते हैं और तुलना श्यामा गाय के दूग्ध से करते हुए सुजान लोग इसका पान करते हैं देवी-देवता रामचरित के सरोवर में स्नान को सदैव आतुर रहते हैं.
स्याम सुरभि पय बिसद अति गुनद करहिं सब पान।
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