
मथुराः RSS के मुस्लिम विंग के कार्यकर्ताओं को कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह परिसर में एंट्री करने से रोका, MRM ने कही ये बात
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RSS के मुस्लिम विंग के कार्यकर्ताओं को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया. बताया जा रहा है कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता साइट के ऐतिहासिक महत्व का विश्लेषण करने के लिए परिसर में गए थे.
RSS के मुस्लिम विंग मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के कार्यकर्ताओं को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह परिसर में प्रवेश से इनकार करने का मामला सामने आया है. दरअसल, बीते दिन यानी बुधवार (11 मई) को MRM के 10 सदस्यीय दल ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह परिसर में प्रवेश करने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने मुस्लिम समूह के कार्यकर्ताओं को परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया. जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध संस्था मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता साइट के ऐतिहासिक महत्व का विश्लेषण करने के लिए परिसर में गए थे.
इंडिया टुडे/आजतक से बात करते हुए MRM के नेता तुषार कांत ने कहा कि उन्होंने कृष्ण जन्मभूमि को दूर से देखा और ईदगाह के इतिहास के बारे में पता लगाने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया. उन्होंने कहा कि ये टीम मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुखिया इंद्रेश कुमार के निर्देश पर मथुरा गई थी. वहीं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की सदस्य रेहाना खातून ने कहा कि मंच सभी मुसलमानों से अपील करता है कि वे सबसे पहले भारतीय हैं. देश में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी पूरे मुस्लिम समुदाय की है.
वहीं टीम के एक अन्य सदस्य आसिफ जाफरी ने कहा कि ऐसी जगह पर नमाज अदा करना अनुचित है, जो मुसलमानों की नहीं है. आसिफ जाफरी ने बताया कि साइट पर मिली हर कलाकृति इस तथ्य की ओर इशारा करती है कि यह अतीत में एक मंदिर था. वहीं MRM की सदस्य मरियम खान ने कहा कि इस्लाम हमें आपस में लड़ना नहीं सिखाता. भविष्य की पीढ़ियों के लिए यह समय है कि इन विवादों को आपसी समझ से सुलझाया जाए.
वहीं कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह परिसर में MRM के प्रवेश को लेकर भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के अध्यक्ष सामी अघई ने कहा कि जब यह मामला पहले से ही अदालत में है, तो RSS की मुस्लिम विंग के कार्यकर्ताओं को विवादित स्थल पर अनावश्यक रूप से अशांति पैदा करने के लिए नहीं जाना चाहिए था. बल्कि अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए था.
सामी अघई ने कहा कि धार्मिक मामलों के अलावा देश के सामने कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. देश महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से जूझ रहा है. ऐसे समय में सभी धार्मिक संगठन सदियों पुराने मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे हैं, जिनकी वर्तमान समय में कोई प्रासंगिकता नहीं है.

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